प्रसन्नता और समरसता के जीवन का उपाय स्वराज की जीवनशैली ही है

जिस धरती से विनोबा भावे ने ग्राम स्वराज की बात की और जहाँ से गोविन्द गुरु ने स्वराज की लड़ाई लड़ी वहीँ से शुरू हुआ वाग्धारा का प्रयास एक नयी इबारत लिखेगा
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स्वराज संदेश-संवाद पदयात्रा, समाज में फैल रही असमानता और ख़त्म होते संवाद को दूर करने में होगी सहायक
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वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विकास के सही उदाहरण, स्वराज तथा स्वराज द्वारा समाधान को समाज और समुदाय के बीच में प्रतिस्थापित करने तथा समुदाय के आग्रह को व्यापक स्तर तक ले जाने के उद्देश्य से आयोजित ‘स्वराज सन्देश-संवाद पदयात्रा से जन समूह व अन्य समुदाय के लोग जुड़ने से अपने आप को रोक नहीं पा रहे हैं।

आदिवासी जीवनशैली पर आधारित स्वराज पद्धतियों और विचारों के संदेश को अन्य क्षेत्रों तक पहुँचाने, सरकार एवं अन्य समाज के विभिन्न तबकों के साथ संवाद स्थापित करते हुए सामूहिक ज्ञान को एक छत के नीचे लाकर एक दूसरे की स्वराज आधारित पद्धतियों को सीखने एवं व्यवहार में लाने हेतु विचारों का आदान-प्रदान करते हुए यह यात्रा प्रकृति और इंसान के बीच एक सेतु का निर्माण का कार्य कर रही है।

वाग्धारा संस्था विगत कई वर्षों से वागड़ अंचल के बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ तथा डूंगरपुर में प्रकृति के संरक्षक समुदाय के साथ आदिवासी स्वराज की स्थापना को पुनः प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्यरत है। गत कई वर्षों से सच्ची खेती की परम्पराओं तथा पद्धतियों को अपना कर समुदाय ने पुनर्जीवित किया है और अपने खोये हुए स्वराज को एक बार फिर से पाने में सफ़लता पायी है। इन्हीं पद्धतियों को अन्य समुदाय के साथ साझा करते हुए संवाद स्थापित करने का प्रयास इस यात्रा के माध्यम से किया जा रहा है ।

वाग्धारा के सचिव जयेश जोशी ने बताया कि स्वराज को सही मायने में जीते हुए आदिवासी व कृषक समुदाय ने सदियों से आज तक प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण व संवर्द्धन किया है तथा जीवन मूल्यों को समाज के लिए जीवित रखा है। इन्हीं सच्ची और अच्छी पद्धतियों को आगे ले जाकर अन्य क्षेत्रों के समुदाय तक पहुँचाने की आवश्यकता महसूस की गयी। समुदाय की प्रमाणित परम्परागत कृषि पद्धतियों को उनके लाभों के साथ अन्य समुदायों के एवं अन्य समुदायों की प्रचलित पद्धतियों को सीखने के उद्देश्य से यात्रा जयपुर पहुंचेगी।

उन्होंने कहा कि आधुनिक कृषि नीतियों के कारण किसान पूर्णतया बाजार पर निर्भर हो गया है और पारम्परिक कृषि को वह भूल सा गया है। अधिक पैदावार की आवश्यकता के चलते वह रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों से खेतों को ख़राब कर रहा है। इन सबके चलते मानव की सेहत से जो खिलवाड़ हो रहा है वह अत्यन्त चिंताजनक है। सच्ची खेती की अवधारणा के अन्तर्गत घर का बीज घर में; गांव का बीज गांव में; पंचायत का बीज पंचायत में सहेजने से ही कृषि स्वराज को प्राप्त किया जा सकता है। “वर्षा आने पर सबसे पहले बुवाई वही किसान कर सकता है जिसके पास अपना खुद का बीज संरक्षित होगा - इसे केवल कृषि स्वराज के द्वारा ही संभव बनाया जा सकता है” ।

भीलवाड़ा के ग्राम भारती सेवा सदन में आयोजित स्वराज संवाद कार्यक्रम में ग्राम भर्ती सेवा सदन के पदाधिकारियों, प्रबुद्ध जनों तथा समुदाय के बीच चर्चा में स्वराज की अवधारणा के तहत ग्रामीण स्वावलम्बन पर ज़ोर दिया गया। सूरज मल जी सोमानी, अध्यक्ष ग्राम भारती सेवा सदन, ने पदयात्रियों तथा यात्रा का नेतृत्व कर रहे जयेश जोशी का स्वागत करते हुए स्वराज की अवधारणा को कृष्ण के समय का बताया। उन्होने कहा कि अपने समय में कृष्ण जी ने भी दूध व मक्खन पर गोकुल वासियों का अधिकार बता कर गोकुल का दूध व् मक्खन मथुरा नहीं जाने दिया था।

सेवा सदन के सदस्य श्री शंकर लाल जी काबरा, ने इस अवसर पर कहा कि पदयात्राएं तभी सफल होती हैं जब संवाद होता है. साधनों से मनुष्य लम्बी दूरी तो तय कर लेता है परन्तु संवाद इसमें पीछे छूट जाता है.

उन्होंने आगे कहा कि गत २-३ दशकों से खोते जा रहे इसी संवाद को पुनर्स्थापित करने के उद्देश्य से ही यह यात्रा निकाली जा रही है. उन्होंने कहा कि आज देश और दुनिया में जो संवादहीनता के स्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं उसे ख़त्म करने और आज की बदली हुई जीवनशैली में प्रसन्नता और समरसता के जीवन का उपाय स्वराज की जीवनशैली है और इसे पुनः स्थापित कर दुनिया को एक सन्देश देना होगा।

इस संवाद कार्यक्रम गाँधी विचारक ताहिर अली के अलावा सेवा सदन के पदाधिकारियों - पुष्पा जी मूंदड़ा, आरिफ मोहम्मद, और मुश्ताक़ अली ने भी भाग लिया। सभी ने एक सुर में जयेश जोशी द्वारा गाँधी के स्वराज की अवधारणा को पुनर्स्थापित करने के उद्देश्य को समर्थन देते हुए कहा कि ये पदयात्रा अवश्य ही एक क्रांतिकारी बदलाव समाज में ले कर आएगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि जहाँ से विनोबा जी ने और गोविन्द गुरु ने स्वराज की लड़ाई का आगाज़ किया था वहीँ से शुरू हुआ ये वाग्धारा का प्रयास बदलाव लाने में कामयाब होगा। वाग्धारा संस्था की ओर से जयेश जी ने सभी को उपरना ओढा कर अभिनन्दन किया।
अन्य स्थानों पर पदयात्रियों का हो रहा स्वागत सत्कार भीलवाड़ा में भी जारी है। अजमेर रोड पर UTI के पास अजमेरा हॉस्पिटल के डॉ आशीष जी अजमेरा, डॉ शीतल अजमेरा, डॉ राम गोपाल राना, राजेंद्र शर्मा, राजेश सेन तथा नवोदय विद्यालय एल्युमिनाइ एसोसिएशन के श्री सत्यनारायण जी माली, ओम प्रकाश तेली और अधिवक्ता राजू डिडवानिया ने ढोल नगाड़ों से पदयात्रियों का स्वागत किया. स्वागत की इसी कड़ी में आगे जाने पर, मंडल प्रधान शंकर लाल जी, डॉ सुरेश कुमावत, सत्यनारायण कुमावत, पार्षद ने फलाहार से यात्रियों का स्वागत कर शुभकामना देते हुए इस नेक कार्य के लिए बधाई दी ।

मार्ग में पदयात्रियों के लिए संदीप नायर, कुलदीप सिंह, जीतमल सुथार व राजमल गवारिया ने भी फलाहार का प्रबन्ध किया। वाग्धारा संस्था की ओर से सभी को उपरना ओढा कर अभिनन्दन किया गया।

इस यात्रा का आधा सफ़र तय हो चुका है और पदयात्री पूरे जोश, उत्साह और उमंग के साथ जयपुर की ओर बढ़ रहे हैं ।