स्वराज संदेश-संवाद पदयात्रा, समाज में फैल रही असमानता और ख़त्म होते संवाद को दूर करने में होगी सहायक

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मानव का मानव के साथ और मानव का प्रकृति के साथ खोये हुए संवाद को पुनर्स्थापित करने हेतु, जल, जंगल, ज़मीन, पशु, बीज, खाद्य , शिक्षा, पोषण व सांस्कृतिक स्वराज जैसे अहम् विषयों पर गहन चर्चा कर एवं स्वराज सिद्धांतों से स्थानीय मुद्दों के संभावित समाधान को जन समुदाय के समक्ष उजागर करने के उद्देश्य से बांसवाड़ा अंचल के संरक्षक समुदाय की “स्वराज संदेश-संवाद पदयात्रा" में आज की स्वराज संवाद चर्चा में करमडा ग्रामवासियों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।

ग्राम स्वराज के संदेशों और आदिवासी जीवनशैली पर आधारित स्वराज पद्धतियों और विचारों के संदेश को अन्य क्षेत्रों तक पहुँचाने, सरकार एवं अन्य हितधारकों के साथ जुड़ाव स्थापित करते हुए सामूहिक ज्ञान को एक छत के नीचे लाकर एक दूसरे की स्वराज आधारित पद्धतियों को सीखने एवं व्यवहार में लाने हेतु विचारों का आदान-प्रदान करने के उद्देश्य से 'स्वराज सन्देश-संवाद पदयात्रा' बाँसवाड़ा से 21 दिन का सफ़र तय कर जयपुर पहुंचेगी।

संवाद कार्यक्रम में वाग्धारा के प्रशांत थोराड ने सभी को इस यात्रा के उद्देश्य से अवगत कराते हुए अपनी पारंपरिक कृषि पद्यतियों के बारे में जानकारी दी. संस्था के ही माजिद खान और सोहन नाथ जोगी ने संवाद की शुरुआत करते हुए गाँव में कृषि, बीज, पशुधन और शिक्षा की स्थिति पर चर्चा की। ग्रामवासियों ने चर्चा में माना कि जो फल सब्जियां या अनाज आज से २० साल पहले तक अपने खेतों में उगाया करते थे वह अब उगाना बन्द हो गया है और सब अपनी दैनिक भोजन की आवश्यकताओं के लिए बाज़ार पर निर्भर हो गए हैं। पहले किसान देसी खाद का इस्तेमाल करता था और अपनी दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ती के लिए अपने खेत में ही पर्याप्त अनाज व फल सब्जियां उगाता था. वह अपने गाँव में ही सहेजा हुआ बीज उपयोग में लाता था, परन्तु अब सब कुछ बाज़ार पर निर्भर हो गया है चाहे वो भोजन हो, बीज, खाद या दैनिक ज़रूरतों का कोई भी सामान क्यों न हो।

किसान अब वही उगाने पर विवश है जिसका बीज उसे या तो सरकार के बीज निगम के द्वारा दिया जाता है अथवा निजी दुकानों से ऊंची दरों पर मिलता है, और ये बीज भी उन फसलों का होता है जिसकी उस जगह के किसानों को आवश्यकता ही नहीं है अथवा वे उनकी भोजन थाली का हिस्सा नहीं है।

इसी प्रकार शिक्षा के क्षेत्र का हाल है. स्वराज संवाद कार्यक्रम में भाग लेते हुए ग्राम के बुज़ुर्ग धन्ना लाल जी कहा कि गाँव में शिक्षक हैं मगर वे बाहर पढ़ाने चले जाते हैं और यहाँ बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक बहार से आते हैं. शिक्षा का स्तर इतना निम्न हो चुका है कि माता-पिता बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने के लिए भेजने लगे हैं चाहे इसके लिए उन्हें कितना भी रूपया खर्च करना पड़े. शिक्षा महंगी हो गयी है और अब यह एक व्यापार बन गयी है।

सभी ग्रामीणों ने एक मत से ये स्वीकार किया कि हमारी प्रथाएं जैसे मेले और हाट बाज़ार आदि अब धीरे-धीरे लुप्त हो गयी हैं. आधुनिक तकनीक के कारण संवाद खत्म हो गया है।

इसी बात को आगे ले जाते हुए वाग्धारा संस्था के जयेश जोशी ने कहा कि इसी संवाद को पुनर्स्थापित करने के उद्देश्य से यही आग्रह ले कर हम लोग जयपुर जा रहे हैं। उन्होंने इस बात के मूल को समझाया कि जिस प्रकार घर की समस्याओं के समाधान के लिए घर के सभी सदस्य एक साथ चर्चा कर घर में ही उन समस्याओं का समाधान खोजते हैं उसी प्रकार गाँव की समस्याओं का समाधान ग्राम स्तर पर ढूंढना हमारी ज़िम्मेदारी है। सरकार से तो हम आग्रह करेंगे ही, परन्तु हमें अपनी ज़िम्मेदारी भी समझनी होगी. हमने अपनी आर्थिक गुलामी बाज़ार को सौंप दी है। आज़ादी के बाद सभी को यह लग्न लगा कि अब सारे काम – काज सरकार करेगी जो कि गाँधी जी की स्वराज संकल्पना के अनुरूप नहीं है। यदि कार्य हमारा है तो उसकी ज़िम्मेदारी भी हमारी है और हमारा ये हक भे है कि हम अपने जनप्रतिनिधियों से सवाल भी करें।

उन्होंने आगे कहा कि आज जब हम आपके पास आये तो हमें कोई अजनबी नहीं लगा। आप सब हम जैसे ही हैं. हमारी संस्कृति एक है, और हमारी समस्याएं भी एक जैसी ही हैं। इसके समाधान भी एक जैसे हैं और ये समाधान हमें मिल कर स्थानीय तरीक़े से खोजने होंगे। यदि हम एक दूसरे को समझने की कोशिश करेंगे तो समाधान निकल सकता है।

उन्होंने गाँधी जी की भावना को दोहराते हुए कहा कि “भारत गाँवों में बसता है और यदि गाँव समृद्ध नहीं होंगे तो देश कभी खुशहाल नहीं हो सकता"। उन्होंने आज के युवाओं से आग्रह किया कि अपनी समस्याओं के समाधान के लिए उन्हीं को बोलना होगा. संवाद कार्यक्रम का समापन भजन प्रस्तुति के साथ हुआ। वाग्धारा के सचिव जयेश जोशी ने वयोवृद्ध ग्रामवासियों तथा श्री रतन लाल जी का उपरना ओढा कर अभिनन्दन किया।

यात्रा में एस डी एम् कार्यालय परिसर में वाग्धारा संस्था के सचिव ने पदयात्रियों के साथ गाँधी प्रतिमा पर पुष्पाहार से अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। आंबेडकर सर्किल पर संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर की प्रतिमा पर भी सभी ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। त्रिमूर्ति चौराहे पर केसरी सिंह जी, जोरावर सिंह जी तथा प्रताप सिंह जी की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया, इस अवसर पर गाँधी जीवन दर्शन समिति के श्री अविनाश जी शर्मा, सुभाष जी व्यास तथा एन एस यु आई के प्रियेश ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करते हुए यात्रा में अपनी भागीदारी निभाई।

इसी बीच पदयात्रियों के स्वागत का सिलसिला यात्रा की पूरे मार्ग में आज भी बदस्तूर जारी रहा। शाहपुरा के नगर पालिका उद्यान में नवोदय विद्यालय एल्युमिनाइ के इश्वर जी, गणेश जी, गंदी लाल जी, सुनीता जी, क्रितेश, सुरेश और रामप्रसाद ने पदयात्रियों का स्वागत किया. इसी कड़ी में समाज सेवक लाला राम बैरवा, नगर पालिका शाहपुरा के पार्षद श्री रमेश जी सेन, तथा मोहम्मद इशाक ने भी सभी पदयात्रियों का स्वागत किया। संस्था की ओर से जयेश जोशी ने स्वागतकर्ताओं का उपरना ओढा कर अभिनन्दन तथा सम्मान व्यक्त किया।