वर्षों से सहेजी सांस्कृतिक विरासत की झलक दिखलाते स्वराज का सन्देश दे रहे पदयात्री

विनोबा भावे की जयन्ती पर नवनिर्माण स्वराज सन्देश को ले कर निकले पदयात्री
September 11, 2022
स्वराज संदेशों से बदलाव की बयार लाने के लिए निकली पदयात्रा से जुड़ने लगा जन मानस
September 15, 2022
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स्वराज की वर्षों से सहेजी संस्कृति की प्रमाणित , परम्परागत व बेहतरीन पद्धतियों को अपने क्षेत्र से दूर अन्य क्षेत्रों तक पहुँचाने और अन्य क्षेत्रों की प्रचलित प्रणालियों को सीखने तथा संभावित स्वराज मॉडल तलाशने के उद्देश्य से आयोजित “स्वराज संदेश-संवाद पदयात्रा” बांसवाड़ा से अपने दूसरे पड़ाव पर आज प्रतापगढ़ के पीपलखूँट पहुँची। विनोबा भावे की जयंती 11 सितम्बर को शुरू हुई यह यात्रा गाँधी जयंती के दिन जयपुर में स्वराज सन्देश - आग्रह सम्मलेन के साथ अपने अंजाम तक पहुंचेगी।

यात्रा के दौरान वाग्धारा संस्था के मान सिंह निनामा ने बताया गया आधुनक कृषि नीतियों के कारण किसान पूर्णतया बाजार पर निर्भर हो गया है और पारम्परिक कृषि को वह भूल सा गया है। अधिक पैदावार की आवश्यकता के चलते वह रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों से खेतों को ख़राब कर रहा है। इन सबके चलते मानव की सेहत से जो खिलवाड़ हो रहा है वह अत्यन्त चिंताजनक है। सच्ची खेती की अवधारणा के अन्तर्गत घर का बीज घर में ; गांव का बीज गांव में ; पंचायत का बीज पंचायत में सहेजने से ही कृषि स्वराज को प्राप्त किया जा सकता है। समस्त जनसमुदाय को अवगत करवाना है कि जल जंगल जमीन जानवर और बीज के बिना हमारा जीवन अधूरा है इसीलिए इन्हें सहेज कर रखना हम सबका दायित्व है। यह यात्रा वागड़ क्षेत्र के वंचित समुदाय के अधिकारों को लेकर है जिसे वह अन्य समुदायों के अधिकारों से जोड़ कर अपनी बात कहेंगे व सम्बंधित मुद्दों पर विचार विमर्श कर स्वराज की अवधारणा को पुनर्स्थापित करेंगे।

अपनी सांस्कृतिक विरासत की झलक दिखते निश्छल मन से जनता के साथ अपनी बात करते हुए चल रहे पद यात्रियों का अनेकों स्थानों पर स्वागत अभिनन्दन किया गया।

यात्रा का जैसे जैसे कारवाँ बढ़ता गया वैसे-वैसे पदयात्रियों में उत्साह व जोश भी बढ़ता गया एवं स्थानीय लोगों के द्वारा बड़ी ही उत्सुकता के साथ स्वागत अभिनन्दन किया गया। घाटोल में प्रेमलता सोनी व सरोज सोनी के परिवार ने यात्रा के मुखिया का तिलक लगा कर एवं माला पहना कर स्वागत किया गया, साथ में नारियल भेंट कर कहा गया कि हम भी वर्षों से इसी लड़ाई के लिए जुटे हुए हैं परन्तु बल तभी मिलेगा जब हम हमारी मांगों को सरकार तक पंहुचने में में सफल होंगे। और यह कार्य करने का बीड़ा वाग्धारा संस्था ने उठाया है।

ग्राम हिलेज में बड़ी ही उत्सुकता के साथ में तीन ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने यात्रा का ढोल नगाड़ों के साथ में स्वागत किया जिसमें सरपँच सविता देवी , सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मण सिंह जी, पाड़ला सरपंच गोपाल जी, कानड़ा सरपंच भीम राज जी बढेरी, हिलेज वार्ड पांच नारायण भाई ने बताया कि कार्य एवं कर्म की पूजा तो सीखे।

इस अवसर पर सरपंच भीम राज जी ने विश्वास व्यक्त किया कि पदयात्रियों द्वारा अपने निजी सुखों को त्याग कर समाज को नयी दिशा दिखाने वाली ये यात्रा आने वाली पीढ़ी के लिए निश्चित ही लाभदायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि जहाँ जीवन के घातक - जल जंगल जमीन जानवर और जानवर होते हैं ऐसे स्थान पर परमात्मा का वास होता है। इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि जंगलों के बीच घाटियों के मध्य प्राकृतिक वातावरण में बहने वाली नदियों का पानी स्वच्छ व निर्मल होता है जबकि शहरी इलाकों में जहाँ मनुष्य प्रकृति से दूर बाहरी आवरण में जीता है वहां जीवन के इन घटकों को नहीं सहेजा जाता वहां का जल हर प्रकार से प्रदूषित मिलता है।

इस अवसर पर बोलते हुए संस्था के डॉ सुदीप शर्मा ने कहा कि यह यात्रा किसी एक व्यक्ति या समाज की नहीं है। ये यात्रा हर उस बच्चे, महिला, किसान , छोटे कारोबारी की है जी स्वराज के साथ जुड़ाव महसूस करता है , हर वो व्यक्ति जो ये सोचता है कि उसे ऐसा स्वराज मिले कि वह अपने परिवार को खुशियाँ दे सके। हर बच्चे को सही शिक्षा मिले जिससे वह अपने आपको ख़ुशी दे सके।

समुदाय के धनराज सिंह निनामा, प्रेमलता, उषा बेन, कैलाश, रेशिम, मानसिंह उप-सरपंच (भगोरा का खेड़ा), गौतम लाल-मालीखेड़ा ने आशा व्यक्त की और बताया कि यात्रा आने वाले दिनों में मेवाड़ में बड़ा ही क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में अहम् भूमिका निभाएगी।

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Aaqib Ahmad

IT Support & Development

Aaqib holds a Master of Computer Applications (MCA) from Jawaharlal Nehru Technological University, Hyderabad. With experience in data analysis, website development, and market research, he transitioned to the development sector seeking purpose-driven work and new challenges.
Working at Vaagdhara has transformed not just my career but my outlook on life. I came here as an IT professional, but I have grown into someone who understands the pulse of rural and tribal communities.