विनोबा भावे की जयन्ती पर नवनिर्माण स्वराज सन्देश को ले कर निकले पदयात्री

Changed the fate of 2000 tribal families in 12 years with help of NABARD
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वर्षों से सहेजी सांस्कृतिक विरासत की झलक दिखलाते स्वराज का सन्देश दे रहे पदयात्री
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मानव का मानव के साथ और मानव का प्रकृति के साथ खोये हुए संवाद को पुनर्स्थापित करने के लिए “स्वराज संदेश-संवाद पदयात्रा” बांसवाड़ा से जयपुर के लिए रवाना हुई। जल, जंगल, ज़मीन, पशु, बीज, खाद्य व पोषण स्वराज विषयों पर गहन चर्चा करने, स्वराज के संभावित मॉडल तलाशने तथा विभिन्न सम्बंधित मुद्दों के संभावित समाधान को यात्रा के माध्यम से उजागर करन के उद्देश्य से आयोजित इस यात्रा को गाँधी दर्शन समिति के जिला अध्यक्ष रमेश जी पंड्या और जिला प्रमुख रेशम मालवीय ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया।

इस अवसर पर बोलते हुए श्री पंड्या ने कहा कि स्वराज की तलाश के लिए सर्वप्रथम ये आवश्यक है कि व्यक्ति का स्वयं पर राज हो, यह बाहरी तौर पर दिखने की चीज़ नहीं है। जिस स्वराज की मॉंग के लिए हम निकले हैं वह स्वयं पर कितना लागू होता है ये जानना आवश्यक है। मोबाइल जैसे आधुनिक साधनों ने परिवार में ही संवादहीनता पैदा कर दी है, और ये संवादहीनता की स्थितियाँ हर जगह बढ़ती जा रही हैं। मूल रूप से स्वराज के संदेशों को, जिन्हें हमने बहुत पीछे छोड़ दिया है उन्हें फिर से आगे लाने की  ज़रुरत है। आदिवासी सम्प्रभुता और बीज स्वराज का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि धरती का पहला बीज मूल रूप से आदिवासी ही है। 

खाद्य सुरक्षा और स्वराज पर रेशम मालवीय ने कहा कि यदि रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाये तो खेतों की हालत सुधर सकती है जिसे हमने ये खाद डाल कर बिगाड़  दिया है। स्वस्थ जीवन जीने के लिए हमें खेती की परम्परागत कृषि- प्रणालियों की ओर लौटना पड़ेगा।  

वाग्धारा संस्था के सचिव जयेश जोशी ने यात्रा को जयपुर तक ले जाने के पीछे मक़सद को स्पष्ट  बताया कि स्वराज को सही मायने में जीते हुए आदिवासी व कृषक समुदाय ने सदियों से आज तक प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण व संवर्द्धन किया है तथा जीवन मूल्यों को समाज के लिए जीवित रखा है। इन्हीं सच्ची और अच्छी पद्यतियों को आगे जाकर अन्य क्षेत्रों के समुदाय तक पहुँचाने की आवश्यकता है।   

यात्रा के दौरान वाग्धारा संस्था के पी एल पटेल के द्वारा बताया गया कि हमें भाइयों को आत्मनिर्भर बनाना है यह यात्रा की कड़ी का हिस्सा है क्यों कि आज का किसान पूर्णतया बाजार पर निर्भर हो गया है एवं घर की खेती को वह भूलता जा रहा है। हमारी यह यात्रा कई मायनों में आदिवासियों के अधिकारों को लेकर है कि हम किस प्रकार से खेती की परम्परागत प्रणालियों को अपनायें। यात्रा का अनेकों स्थानों पर स्वागत अभिनन्दन किया गया, लिओ कॉलेज के द्वारा सभी पदयात्रियों का स्वागत कर अल्पाहार की व्यवस्था की गयी। इसी कड़ी में आगे चलते हुए वनाला में कानजी भाई के परिवार द्वारा पूर्ण आत्मीयता के साथ में वाग्धारा के सचिव जयेश जोशी का तिलक लगा कर साफा बांध कर आरती उतार कर यात्रा की हार्दिक शुभकामनायें दी एवं सभी पदयात्रियों का पुष्पहार द्वारा अभिनन्दन किया गया। 

सागथली में वार्ड पंच के नेतृत्व ग्रामीणों के द्वारा  पदयात्रियों स्वागत किया गया। यात्रा के कार्यक्रम को लेकर समस्त परिवार के सदस्यों को ज़िम्मेदारी दी गयी है कि किस प्रकार से इस 21 दिवसीय यात्रा को हमें अंजाम तक पहुँचाना है एवं  यात्रा के मार्ग आने वाले समस्त जनसमुदाय को अवगत करवाना है कि जल जंगल जमीन जानवर बीज के बिना हमारा जीवन अधूरा है इसीलिए सहेज कर रखना हमारी सबकी ज़िम्मेदारी है। 

संस्था के सुदीप शर्मा, माजिद खान, परमेश पाटीदार, राजेश हिरन, सोहन नाथ , अनीता डामोर, कान्ता  देवी, ललिता,  प्रभुलाल, मोहन मकवाना, मधु सिंह, कल सिंह डामोर  के मार्गदर्शन में यात्रा की शुरुआत की गयी है। यह यात्रा आने वाले दिनों में मेवाड़ में बड़ा ही क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में अहम् भूमिका निभाएगी।