स्वराज संदेशों से बदलाव की बयार लाने के लिए निकली पदयात्रा से जुड़ने लगा जन मानस

वर्षों से सहेजी सांस्कृतिक विरासत की झलक दिखलाते स्वराज का सन्देश दे रहे पदयात्री
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कृषि स्वराज – पहले खुद अपनाया अब जन-जन के लिए पदयात्री जगा रहे अलख
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महात्मा गाँधी के स्वराज संदेशों को हरएक समुदाय तक पहुँचाने के संकल्प के तहत वागड़ के गाँधी के नाम से ख्याति प्राप्त जयेश भाई जोशी की अगुवाई में बांसवाड़ा से चली ‘स्वराज सन्देश संवाद पदयात्रा’ आज प्रतापगढ़ से होते हुए चित्तोड़ के लिए आगे बढ़ी। यात्रा चित्तोड़  से भीलवाड़ा,  केकड़ी और टोंक होते हुए 1 अक्टूबर को जयपुर पहुंचेगी।

पदयात्रा में विभिन्न समुदायों के लगभग 200 लोग कृषि, बीज, मृदा, जल तथा सांस्कृतिक और शिक्षा का  स्वराज, सन्देश जन - जन तक पहुंचाते हुए आगे बढ़ रहे हैं। पदयात्रा का जगह-जगह पर स्वागत किया जा रहा है और विभिन्न स्थानों पर सभाओं में आपसी विचार विमर्श के माध्यम से गांधी जी की स्वराज अवधारणा को विस्तार दिया जा रहा है। इस यात्रा के पड़ावों में अब स्कूली बच्चे भी स्वराज की जानकारी लेने लगे हैं। पदयात्री अपने परम्परागत ज्ञान, अपनी संस्कृति और विरासत की झलक दिखा कर जन - जन को यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि बाज़ार पर निर्भरता कम करने, अपने घर का बीज सहेजने, खेत, घर और गांव का पानी बचाने से ही हम अपनी सम्प्रभुता को पुनः प्राप्त कर सकते हैं ।

वनों के बीच बहती अविरल जलधारा, स्वास्थ्य वर्धक प्राकृतिक जड़ी-बूटियाँ एवं प्रकृति से मानव का जुड़ाव अपने आप में एक जीवंत सन्देश है कि किस प्रकार से मानव की छेड़-छाड़ से परे प्रकृति अपने मूल रूप में कितनी सुन्दर दिख रही है और यही सन्देश इस पदयात्रा के माध्यम से देने की कोशिश की जा रही है कि मानव का प्रकृति के साथ खोया हुए जुड़ाव एक बार पुनः स्थापित हो। 

प्रतापगढ़ में पदयात्रियों द्वारा रात्रि पड़ाव में सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम में महात्मा गाँधी दर्शन समिति के ज़िला अध्यक्ष श्री प्रवीण जी और ज़िला सह संयोजक मोहित भावसार, राजस्थान बाल आयोग से श्री शिव भगवन नागा जी, ज़िला परिषद् सदस्य श्री पिंकेश जी पटवा, खाद्य सुरक्षा समिति के सदस्य श्री शंकर दस्लानिया, पार्षद अशोक जी ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से पदयात्रियों का उत्साहवर्द्धन करते हुए इस कार्य के लिए शुभकामनायें दीं। कार्यक्रम में स्वाराजियों ने अतिथियों तथा जनप्रतिनिधियों के मन को छू लेने वाली मधुर और प्रभावी भजन प्रस्तुति दी। 

इस अवसर पर बोलते हुए प्रवीण जी ने सभी स्वाराजियों का स्वागत करते हुए कहा कि इतनी लम्बी दूरी तक पैदल चलने के बाद भी आप सभी की ऊर्जा और उत्साह अद्भुत है। यह मेरा और प्रतापगढ़ का सौभाग्य है कि आप सभी का स्वागत- सत्कार करने का अवसर हमें मिला है। आपने गाँधी जी के स्वराज की जो अवधारणा बताई है, आदिवासी समाज सदैव ही उसे मान कर गाँधी जी के प्रेम, प्रकृति के संरक्षण एवं के सदमार्ग पर चलता आया है। आप जैसे धरती पुत्र ने ऐसे समय में जब समाज में समुदायों की एक दूसरे के प्रति दुर्भावना बढ़ रही है तब आपने इस यात्रा के माध्यम से प्रकृति - बीज, जल, जंगल, जानवर और जमीन के संरक्षण का सन्देश समस्त राज्य के साथ साझा करने का जो प्रयास किया है उसके लिए आपका आभार मानता हूँ और आप सभी की सफ़ल यात्रा की कामना करता हूँ। 

ज़िला परिषद् सदस्य श्री पिंकेश जी पटवा ने यात्रा के लिए शुभकामना देते हुए जयपुर में भी सहयोग व समर्थन का आश्वासन दिया साथ ही कहा कि यदि हम हमारे जीवन में थोड़ा सा भी गाँधी जी के आदर्श और स्वराज की भावना को अपना लें तो हमारा जीवन धन्य हो जायेगा। 

ज़िला विधिक सहायता समिति के श्री सक्सेना जी ने कहा कि मानव का मानव से तथा प्रकृति से प्रेम होना आवश्यक है। मैं आप सभी को शुभकामनायें  देता हूँ और आशा करता हूँ कि जो संकल्प लेकर आप जयपुर जा रहे हैं उसमें आप अवश्य ही सफ़ल हों। 

राजस्थान बाल आयोग के सदस्य श्री शिव भगवन नागा जी ने अपने पदयात्रा के संस्मरण साझा करते हुए कहा कि उन्होंने भी पदयात्रायें की हैं मगर इस प्रकार की पदयात्रा, समुदाय द्वारा की है वह बहुत ही व्यापक, नेक और समाज की उन्नति के लिए किया जाने  वाला कर्म है जिसके लिए  सभी को आभार और शुभकामनायें। 

इस अवसर पर वाग्धारा संस्था के सचिव श्री जयेश जोशी और साथियों द्वारा उपस्थित अतिथियों का दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया गया।