कैसे सहेजकर रखें विरासत आमजन को देंगे आदिवासी समुदाय के प्राकृतिक प्रेम का संदेश तीन चरणों में होगी यात्रा जलपुरुष बोले- स्वराज की परिकल्पना साकार कर रहे हैं वागड़ के गांधी जयेश जोशी ।
गांधी जयंती पर शनिवार को बांसवाड़ा से एक अनूठी विरासत स्वराज यात्रा का आगाज किया गया । इसमें जल, परम्परागत बीज, मिट्टी, खाद्य व पोषण, वन के संरक्षण को लेकर अधिकाधिक लोगों को जागरुक किया जाएगा । वाग्धारा संस्थान के बैनर तले तीन चरणों की यह यात्रा पहले राजस्थान, मध्यप्रदेश व गुजरात के छह जिलों में जाएगी । इसके बाद सेवाग्राम से देश और विदेश तक पहुंचेगी ।
बांसवाड़ा के जनजातीय स्वराज केंद्र कुपडा परिसर में जल पुरुष राजेंद्र सिंह एवं सर्वोदय विचारक आशा बोथरा के आतिथ्य में हरी झंडी दिखाकर यात्रा को रवाना किया गया । जल पुरुष सिंह ने कहा कि वर्तमान में विकास के नाम पर गांव उजड़ कर शहरों में जा रहे हैं । विरासत खत्म हो रही है, इसे सहेजकर रखना बड़ी चुनौती है । विशेषकर जनजाति क्षेत्र के लोग जल-जंगल और जमीन से जुड़े हुए हैं । यहां से जागरुकता की लहर चलेगी तो उसका प्रभाव पूरे देश पर होगा । उन्होंने संस्था सचिव जयेश जोशी को वागड़ का गांधी बताते हुए कहा कि साधनों को समग्रता के साथ समर्पित करके सत्य के मार्ग पर वाग्धारा चल रही है । महात्मा गांधी सत्य को भगवान मानने वाले थे तो लाल बहादुर शास्त्री ने अपना हर पल राष्ट्र के लिए समर्पित किया । इसी तरह जयेश जोशी वागड की धरती पर विरासत को सहेज कर स्वराज की परिकल्पना को साकार करने में जुटे हैं ।
सर्वोदय विचारक आशा बोथरा ने कहा कि सही मायने में गांधी का स्वराज समझने, सहेजने, संभालने, संगठन बनाने और फिर सत्याग्रह से ही साकार हो सकता है। आदिवासी समुदाय के लोग स्वराज के सच्चे साथी हैं जो आदिकाल से ही प्राकृतिक स्त्रोतों को सहेज रहे हैं ।
वाग्धारा संस्था के सचिव जयेश जोशी ने कहा कि आदिवासी समुदाय के साथ मिलकर पिछले 20 वर्षों से जल, जंगल, जमीन, जानवर व बीज को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। आदिवासी समुदाय अपनी प्राकृतिक विरासत को सहेजने के लिए जो स्वराजी पहल कर रहे हैं, उसका संदेश अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए यात्रा निकाली जा रही है। संस्था परिवार ने जल शुद्धिकरण के लिए उपयोग में आने वाली फिटकरी से जलपुरुष को तौलकर अभिनंदन किया।
प्रारंभ में वागड़ के प्रख्यात कवि डॉ. संजय आमेटा एवं साथियों ने बापू की सर्वधर्म सम भाव की प्रार्थना “वैष्णव जन तो” के साथ बापू के विचारों को आत्मसात करवाया। जनजातीय विकास मंच के संयोजक मानसिंह निनामा, संस्था के कृषी व पोषण कार्यक्रम प्रभारी पीएल पटेल, बाल अधिकार प्रभारी माजिद खान ने इससे जुड़ी जानकारियां दी।
विरासत स्वराज यात्रा पहले चरण में डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, रतलाम, झाबुआ, दाहोद जिलों की साबला, आसपुर, घाटोल, पीपलखूंट, बाजना, कुशलगढ़, थांदला, सज्जनगढ़, गांगडतलाई, झालोद, फतेहपुरा व आनंदपुरी पंचायत समितियों में जाएगी। शुरुआत साबला से होगी और समापन मानगढ़ धाम आनंदपुरी पर होगा।
यात्रा के माध्यम से जनजातीय विकास की संस्थाओं, स्वराज साथियों, शिक्षाविदों, समाज सेवियों के साथ मिलकर एक कार्यक्रम तैयार किया जाएगा। परम्पराओं और संस्कृति को प्रभावित किए बिना आदिवासी समुदाय के लोगों को स्वराज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास होगा।
दूसरे चरण में भारत पुनर्निर्माण अभियान के तहत प्रदेश के अन्य जिलों में यह यात्रा जाएगी। समापन साबरमती आश्रम अहमदाबाद में होगा। देशव्यापी यात्रा में अलग अलग दल के साथी देश के अलग अलग राज्यों में सन्देश देंगे। अंतिम चरण में अन्तर्राष्ट्रीय विरासत स्वराज यात्रा 100 से ज्यादा देशों में जाएगी।
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