स्वराज का पौधा उसी देश में पनपता है जिसकी जड़ें अपनी परम्पराओं से जुडी हों

प्रकृति में सृजन का मूल है बीज और इसी बीज से जीवन और भोजन दोनों की उत्पत्ति होती है
September 25, 2022
स्वराज सन्देश संवाद पदयात्रा में यात्री गाँव गाँव में विभिन्न समुदायों को गाँधी जी के स्वराज संदेशों से परिचित करा रहे हैं
September 27, 2022

“प्रत्येक गाँव जब अपनी आवश्यताओं की पूर्ती तथा सुरक्षा की दृष्टि से स्वावलंबी होगा तभी वास्तविक स्वराज आएगा ”

आत्मनिर्भर बनना हमारा उद्देश्य नहीं, बल्कि कर्तव्य है। यह दृष्टि गाँधी जी की बुनियादी शिक्षा का महत्वपूर्ण तत्त्व है। प्रत्येक विद्यार्थी भविष्य का नागरिक है, उसे दूसरों पर या सरकार पर आश्रित होने की बजाये आत्मनिर्भर होना चाहिए। वर्तमान में अगर देखा जाये तो हमारे युवा वर्ग के समक्ष जहाँ एक ओर रोजगार का संकट है वहीं दूसरी ओर रोजगार के लिए सरकार की ओर निरंतर देखते रहना उसकी मानो नियति बन गया है। वास्तव में अगर देखा जाये तो जनसंख्या के लगभग तीन प्रतिशत से ऊपर सरकारी नौकरी नहीं है।

आज बड़े बड़े विश्वविद्यालयों से डिग्री लेने के बावजूद भी युवा रोज़गार के लिए दर-दर भटक रहा है. गाँधी जी ने एक भविष्यदृष्टा की भांति इस समस्या को समझ कर स्वरोजगार का सूत्र दिया और गाँधी जी की बुनियादी शिक्षा का सिद्धांत ही आज की बेरोज़गारी को मिटाने का एक मात्र उपाय है और उसे आज के परिप्रेक्ष्य में पुनः लाना होगा।

ये बात आज केकड़ी के ग्राम धुवालिया और जूनिया में स्वराज संवाद कार्यक्रम के दौरान वाग्धारा के जयेश जोशी ने ग्राम वासियों से कही. हमारे मुद्दे, हमारी समस्याओं का हल हमें ही निकलने होंगे. दरअसल हमने ये मान लिया है कि अब हमें कुछ नहीं करना है और आज़ादी के बाद सभी को यह लगने लगा कि अब सारे काम – काज सरकार के जिम्मे है जो कि गाँधी जी की स्वराज संकल्पना के अनुरूप नहीं है। यदि कार्य हमारा है तो उसकी ज़िम्मेदारी भी हमारी है और हमारा ये हक भी है कि हम अपने जनप्रतिनिधियों से सवाल भी करें। गाँधी जी की भावना के अनुरूप सच्चा स्वराज तब आएगा जब सत्ता का दुरूपयोग होने पर सब लोग उसका विरोध करना सीख जायेंगे. हम बेशक सरकारों का विरोध न करें परन्तु अपनी बात तो उनके सामने रखें. हमारी बात हम नहीं रखेंगे तो और कौन रखेगा?

उन्होंने आगे कहा कि गाँधी का स्वराज राष्ट्र निर्माण में परस्पर सहयोग और मेल- मिलाप पर बल देता है. परंतु आज आधुनिकता और उपभोक्तावाद परक नीतियों के कारण कुछ ऐसे बदलाव हमारे जीवन में आये हैं जिसकी वजह से इंसान का प्रकृति तक के साथ भी संवाद ख़त्म हो गया है. इसी संवाद को एक दूसरे के बीच पुनर्स्थापित करने के उद्देश्य से महात्मा गाँधी और विनोबा जी के स्वराज के संदेशों को अपने अनुभवों के साथ जन जन तक पहुँचाने हेतु प्रकृति के संरक्षक समुदाय“ स्वराज सन्देश संवाद पदयात्रा” के माध्यम से प्रयास कर रहे हैं.

आज के ये स्वराज संवाद कार्यक्रम इसी कड़ी का हिस्सा हैं. कार्यक्रम में प्रकृति के महत्वपूर्ण घटकों - जल, जंगल, ज़मीन, पशु, बीज, खाद्य , शिक्षा, पोषण व संस्कृति के स्वराज जैसे अहम् विषयों पर गहन चर्चा हुई.

इसी बीच स्वागत की कड़ी में जुनिया ग्राम पंचायत पर भी सरपंच श्री कृष्ण गोपाल सेन, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल श्रीधर जी चौधरी, सहित श्री राजेंद्र कुमार सेन (JSS अध्यक्ष) तथा कमलेश कुमार जी द्वारा पदयात्रियों का स्वागत किया गया. इस अवसर पर बोलते हुए प्रिंसिपल श्रीधर जी चौधरी ने सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनकी कामना है कि इस यात्रा का जो उद्देश्य है वह मूर्त रूप ले और हम इसमें सफल हों. उन्होंने कहा कि किसी भी चीज़ की अति बुरी होती है – इसलिए ये आवश्यक है कि हम अपने खेतों में एक ही प्रकार की फसलों को न उगाते हुए मिश्रित खेती अपनाएं. गेहूं के अतिरिक्त ज्वार, बाजरा, मक्का जैसे अन्य अनाज भी उगायें और खाएं. उन्होंने आगे कहा कि किसानों की स्थिति सुधारने पर सरकार को सोचना चाहिए. खेती हेतु किसानों को ग्राम स्तर पर ही मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जानी चाहिए.

इससे पूर्व वाग्धरा संस्था के श्री मानसिंह निनामा ने यात्रा का उद्देश्य बताते हुए अपने कृषक जीवन में परंपरागत खेती से प्राप्त की आत्मनिर्भरता का ज़िक्र करते हुए उसके लाभ को सभी के साथ साझा किया. स्वागत कार्यक्रम में यात्रा का नेतृत्व कर रहे वाग्धारा संस्था के सचिव जयेश जोशी ने गाँधी और विनोबा जी के स्वराज सिद्धांतों का ज़िक्र करते हुए कहा कि आज बढ़ते वैमनस्य के इस दौर में पुनः खुशहाली प्राप्त करने के लिए हमें इन युग पुरुषों के स्वराज विचारों को अपनाना ही होगा. जोशी ने कहा कि आज की बदली हुई जीवनशैली में प्रसन्नता और समरसता के जीवन का उपाय स्वराज की जीवनशैली है और इसे पुनः स्थापित कर दुनिया को एक सन्देश देना होगा। इसी आग्रह के साथ हम इस यात्रा को जयपुर तक ले जा रहे हैं।

वाग्धारा की ओर से रा.उ माँ वि के प्रिंसिपल श्रीधर जी को “गाँधी जी की आत्मकथा “ पुस्तक भेंट कर निवेदन किया कि गाँधी जी के विचारों से प्रतिदिन छात्रों को अवगत करवाया जाये जिसे श्रीधर जी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.