स्वराज संदेश-संवाद पदयात्रा, समाज में फैल रही असमानता और ख़त्म होते संवाद को दूर करने में होगी सहायक

स्वराज के बुनियादी सिद्धान्तों को पुनर्स्थापित करने का आग्रह ले कर चल रही “स्वराज संदेश-संवाद पदयात्रा”
September 19, 2022
जिस धरती से विनोबा भावे ने ग्राम स्वराज की बात की और जहाँ से गोविन्द गुरु ने स्वराज की लड़ाई लड़ी वहीँ से शुरू हुआ वाग्धारा का प्रयास एक नयी इबारत लिखेगा
September 21, 2022
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गाँधी की स्वराज संकल्पना के अनुरूप स्वराज का सपना पूरा करने का आग्रह ले कर मानव का मानव के साथ; पीढ़ियों का पीढ़ियों के साथ; सरकार का समुदाय के साथ और इंसान का प्रकृति के साथ संवाद और संवाद से समरसता पुनः स्थापित करने के उद्देश्य से बांसवाड़ा अंचल के प्रकृति के संरक्षक समुदाय समुदाय की “स्वराज संदेश-संवाद पदयात्रा", समाज में फैली असमानता को दूर करने में सहायक होगी।

स्वराज सन्देश संवाद पदयात्रा के नवें दिन चित्तोड़ पहुँचने पर सर्वोदय साधना संघ परिसर चन्देरिया में वाग्धारा संस्था के सचिव जयेश जोशी और सभी पदयात्रियों का बड़े जोश और उत्साह के साथ स्वागत किया गया|

पद्मश्री मुनि जिनविय द्वारा स्थापित सर्वोदय साधना संघ के अध्यक्ष प्रो सत्यनारायण जी संधानी जी ने पदयात्रियों का स्वागत करते हुए कहा कि यदि सरकार को विकास की अवधारणा सीखनी है और उसकी क्रियान्विति करनी है तो उसे परम्पराओं को अपनाना चाहिए क्योंकि वर्तमान तंत्र भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका है
प्रो संघानी ने कहा कि वैचारिक असमानता एक ऐसा जहर है जो आपसी सौहार्द्र और सामन्जस्य तथा समरसता को खत्म कर देता है। गाँधी जी की बुनियादी शिक्षा के सिद्धांत को पुनर्स्थापित किया जाना चाहिए और स्वराज आधारित नीतियां बनें। स्वराज सन्देश संवाद पदयात्रा समाज व समुदाय में ख़त्म हो रहे आपसी संवाद को पुनर्स्थापित करने के उद्देश्य से निकली है, जिसकी सफलता की कामना करते हुए संघानी जी ने सभी कहा कि आज मुनि जिनविजय की धरती पर से जो संकलप आप ले कर निकले हैं उसकी गूँज पूरे देश में सुनाई देगी| संधानी जी का यह भी कहना था कि चूँकि मनुष्य और अन्य जीवों में अंतर करें तो मनुष्य के पास दिमाग है, वह सृजन कर सकता है इस क्रम में सृजनशील मनुष्य से यह अपेक्षा की जा सकती है कि बरसों से चली आ रही प्रथाओं और परम्पराओं को अपनाएं जिससे भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के प्रयासों को बढ़ावा मिले |

इस अवसर पर राजस्थान समग्र सेवा संघ के अध्यक्ष सवाई सिंह ने कहा कि आज जो लोग अंतिम पायदान पर खड़े हुए हैं उनको पूर्ण रूप से योजनाओं का लाभ नहीं मिला| समान रूप से सबको अधिकार मिले इसके लिए विवाद क्यों? सामुदायिक निर्णयों में महिला और पुरुष की समान भागीदारी होनी चाहिए। आदिवासी जीवनशैली गाँधी जी के विचारों और स्वराज की प्रतिबिम्ब है| स्वराज की जीवनशैली बने ऐसी कोई नीति आज तक नहीं बनी| PDS में वह ऐसा अनाज मिलता है जो हमारे खान-पान का हिस्सा नहीं है। जब ग्राम स्वराज में ग्रामीणों के हाथों में सत्ता थी तब पहाड़ियाँ हरी-भरी थीं। शुद्ध जल उपलब्ध था और मिटटी उपजाऊ थी। परन्तु जब से समुदाय के मालिकाना हक छिन गए तब से स्थितियां विपरीत हो गयी।

सर्वोदय साधना संघ के उपाध्यक्ष श्री आनंदी लाल जी जैन ने कहा कि "आपका मौन चीखना चाहिए, आपकी ये आवाज़ ऊंची हो कर जब सरकार तक पहुंचेगी तब निश्चित ही परिवर्तन आएगा।“

सर्वोदय साधना संघ के मंत्री नवरत्न जी पटवारी ने भी स्वागत कार्यक्रम में सभी का हौसला बढ़ाते हुए यात्रा के लिए सभी को शुभकामनायें दी ।

समुदाय का नेतृत्व कर रहे वाग्धारा संस्था के सचिव जयेश जोशी ने बताया कि गाँधी के स्वराज की अवधारणा का एकमात्र उदाहरण आदिवासी तथा उसकी परंपरागत जीवनशैली है। स्वराज को सही मायने में जनजातीय समुदाय ने ही जिया है जिसने सभी संसाधनों का संरक्षण व संवर्द्धन किया है। मूल रूप से स्वराज के संदेशों को, जिन्हें हमने बहुत पीछे छोड़ दिया है उन्हें फिर से आगे लाने की ज़रुरत है। हमारा सरकार से आग्रह है कि स्वराज की अवधारणा को मज़बूत करने वाली नीतियाँ बने न कि सामाजिक समरसता एवं सद्भाव को नुकसान पहुँचाने वाली। परंपरागत कृषि को बढ़ावा मिले - ऐसी नीति हो जिससे खाद्य एवं पोषण का स्वराज स्थापित हो। समुदाय के माध्यम से बीजों के लिए विकेन्द्रीकृत प्रणाली हो, नरेगा के माध्यम से में मृदा व जल संरक्षण के लिए नियमित रोज़गार सुनिश्चित हो, कृषि, मृदा व् जल का स्वराज सुदृढ़ रहे।

गाँधी जी की बुनियादी शिक्षा का सिद्धांत ही आज की बेरोज़गारी को मिटाने का एक मात्र उपाय है और उसे आज के परिप्रेक्ष्य में पुनः लाना होगा। जोशी ने कहा कि आज की बदली हुई जीवनशैली में प्रसन्नता और समरसता के जीवन का उपाय स्वराज की जीवनशैली है और इसे पुनः स्थापित कर दुनिया को एक सन्देश देना होगा। इसी आग्रह के साथ हम इस यात्रा को जयपुर तक ले जा रहे हैं।

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Aaqib Ahmad

IT Support & Development

Aaqib holds a Master of Computer Applications (MCA) from Jawaharlal Nehru Technological University, Hyderabad. With experience in data analysis, website development, and market research, he transitioned to the development sector seeking purpose-driven work and new challenges.
Working at Vaagdhara has transformed not just my career but my outlook on life. I came here as an IT professional, but I have grown into someone who understands the pulse of rural and tribal communities.