Our Heritage Our Swaraj, grand event at Mangarh Dham

Our Heritage Our Swaraj, first right of the community
October 5, 2021
Child Rights Week Festival on Children’s day
November 14, 2021
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विरासत स्वराज यात्रा का भव्य आयोजन मानगढ़ धाम में हुआ

विरासत स्वराज यात्रा जनजातीय समाज में जल स्वराज, मिट्टी स्वराज, बीज स्वराज, वन स्वराज, खाद्य एवं पोषण स्वराज, वैचारिक स्वराज को स्थापित करना है,  जिस ग्राम स्वराज के रास्ते गांधी हिन्द स्वराज का सपना साकार होते देखना चाहते थे उससे हमारे गांव कोसों दूर होते जा रहे भारत के केन्द्र में स्थित जनजातीय क्षेत्र में समुदाय के साथ कार्यरत वाग्धारा संस्था स्वराज की ओर बढ़ रही है, जो क्षेत्र में जनजातीय समाज की संप्रुभूता और टिकाऊ आजीविका के लिए समर्पित है, इसी के आगे वाग्धारा ने विरासत स्वराज यात्रा का शुभारंभ 2 अक्टूबर गांधी जी की जयंती के दिन किया विरासत स्वराज यात्रा वाग्घरा परिसर कुपड़ा से राजस्थान के डूंगरपुर जिले के साबला, आसपुर, से बांसवाड़ा जिले के घाटोल, से होते हुए पीपलखूंट, से मध्प्रदेश में बाजना, कुशलगढ़, थांदला, सज्जनगढ़, से गागाड़तलाई, गुजरात राज्य में झालोद, फतेहपुरा से आनंदपुरी मानगढ़ धाम पहुंची इसके बाद विरासत स्वराज यात्रा देश के कई राज्यो से होते हुए स्वयंसेवकों के माध्यम से विदेश तक जाएगी

आनंदपुरी के गमाना गांव में गुरु गोविंद सिंह बारादरी भवन में आयोजन रहा  स्वराज जिसका संचालन प्रभुलाल गरासिया ने किया, प्रभुलाल जी ने जनजातीय स्वराज संगठन के पदाधिकारी व समाज के  लोगों को स्वराज के उद्देश्यों से अवगत कराया, इसी के साथ प्रहलाद सिंह ने स्थानीय जनजातीय लोगों का विरासत स्वराज यात्रा में स्वागत किया और परम्परागत तरीके से खेती करने पर अपनी बात कही और खेती में निहित स्वराज की परिकल्पना से अवगत कराया, इसके के आगे कार्यक्रम में माजिद खान ने बताया कि हमारे गांव बाजार पर निर्भर होते जा रहे है, हम स्वराज की परिकल्पना से दूर होते जाते रहे है हमे हमारे घर पर सभी को थोड़ी सी भूमि पर साग सब्जी की बगिया लगानी आवश्यक है जिससे हमे ताजी और स्वच्छ सब्जी मिले ताकि हमारे बच्चे कुपोषित नहीं रहे, सभी बच्चे स्वस्थ रहे, और हम किसी भी तरह बाजार पर निर्भर नहीं रहे, इसके साथ मानसिंह निनामा ने कहा कि अगर हम अपने खेत पर दाल खुद उगाकर नहीं खाते है तो वह स्वराज नहीं है, अगर हम दूध के लिए बाजार पर निर्भर है तो वह हमारा स्वराज नहीं है, हमे अगर स्वराज की परिकल्पना को साकार करना है, तो हम खुद आत्मनिर्भर कैसे बने इसके लिए सोचना होगा, दिनेश पटेल ने जनजातीय समुदाय को मजबूती के साथ स्वराज को अपनाने के लिए अपनी बात कही, पी एल पटेल ने बताया कि जो हमारी विरासत है, उसे हम क्यों भुल रहे है, हमें जो हमारे बाप दादा ने भूमि दी है, उसे हमे रासायनिक दवाई, यूरिया जैसे खतरनाक पदार्थ डालकर क्यों हम अपनी धरती माता को जहर दे रहे है, हमे अब यह अपनी भूमि को इस जहर से बचाना है, और परम्परागत तरीके से जैविक खेती को पूरे मन से अपनाना है, इसके के साथ कार्यक्रम में वाग्धारा संस्था के सचिव महोदय जयेश जोशी जी ने अपने विचारों में जनजातीय समाज को एक सकारात्मक ऊर्जा दी है जिसने उन्होंने बताया कि विरासत वही है जो हमे हमारे दादा परदादा ने दी है उसे हम क्यों नहीं सहज पा रहे है, हमें जो प्रकृति ने उपहार दिया उसे हम क्यूं नष्ट कर रहे है, हमें स्वराज के गांव का निर्माण करना है, जिसमें हमारी आदिवासी संस्कृति, विचार जो हमारी विरासत है उसे आपको सहेजना है, हमे परम्परागत तरीके से खेती करनी है, हमारे बीज को सहेजना है, तभी वह हमारा स्वराज होगा, बीज स्वराज की परिकल्पना को साकार करने के लिए जनजातीय समाज को मर्गदशित किया।

कार्यक्रम के अंत में धरतीमाता की आरती की गई और भूमि पूजन किया कार्यक्रम में आए सभी सदस्यों को विकास मेश्राम ने आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम में जनजातीय स्वराज संगठन के पदाधिकारी, मंजुला देवी, हीरा लाल, मोहन लाल, मक्सी भाई, धनपाल आयाड़, प्रभुलाल, कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए  वाग्धारा संस्थान से विकास मेश्राम, गोपाल सुथार, बाबूलाल, वीरेंद्र, दीपिका, कांता, कैलाश, सुरेश, भूरालाल, ललिता, उषा, उपस्थित रहे