कोविड के दौरान बढ़ी चुनौतियों का मिल कर सामना करने की आवश्यकता पर बल देते हुए राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने सभी से आव्हान करते हुए कहा कि जो बच्चे अनाथ हुए है या जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु हुई है उन्हें पहचान कर मुख्यमंत्री द्वारा घोषित योजनाओं से जोड़ने का प्रयास करें । इसके लिए ज़रूरी मदद का उन्होने भरोसा दिलाया ।
बाल श्रम से बच्चों को बचाने के लिए बच्चों द्वारा किए गए प्रयासों से अभिभूत, बेनीवाल ने बाल श्रम को रोकने के लिए वाग्धारा द्वारा किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा करते हुआ कहा कि धरातल पर किए जा रहे कार्यों के कारण ही आज बच्चे इस कार्यक्रम के माध्यम से इस मुहिम से जुड़ पाये हैं । घाटोल के डेलिया तालाब की बाल पंचायत से जुड़े सदस्य ‘गणेश लाल ‘ से उन्होने सीधी बात कर उनके द्वारा बाल श्रम में जाने वाले बच्चों को रोकने हेतु जागरूकता के लिए उनकी तारीफ की और कहा कि अपने दौरे में वे उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलना चाहेंगी । विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर वाग्धारा द्वारा आयोजित एक वेबिनार में वे अपने विचार व्यक्त कर रहीं थीं।
मधु सिंह, सहायक कार्यक्रम सहजकर्ता, वाग्धारा ने इस वेबिनार में अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर जानकारी देते हुए बताया कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा दुनिया भर में बाल श्रमिकों पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से ‘विश्व बाल मजदूरी निषेध दिवस’ मनाने की शुरूआत 2002 में की गई थी। तब से प्रति वर्ष 12 जून को विश्वभर में करोड़ों लोग मिलकर यह दिवस मनाते हैं ताकि इस समस्या के समाधान के उपाय तथा प्रयास किए जा सके। यूनीसेफ और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्वभर में बाल श्रमिकों की संख्या बढ़कर 16 करोड़ हो गई है। कोविड-19 महामारी ने लाखों लोगों को गरीबी के कगार पर पहुंचा दिया, जिसका सीधा संबंध बाल मजदूरी के साथ है।
माजिद खान, प्रोग्राम लीड, बाल अधिकार, वाग्धारा ने ‘ बाल श्रम रोकने में समुदाय आधारित संगठनों की भूमिका पर अपने विचार रखते हुए कहा कि यदि समुदाय अपने स्तर पर बाल श्रम को रोकने के प्रयास करे तो कोई वजह नहीं कि इस समस्या से मुक्ति नहीं मिल सकती । समुदाय की भागीदारी से 1000 गावों में 303 ग्राम पंचायतों में बाल पंचायत का गठन कर संस्था जमीनी स्तर पर बाल श्रम को रोकने के कई प्रयास कर रही है । इसके लिए संस्था ने जनजातीय स्वराज संगठन, ग्राम विकास बाल अधिकार समिति, सक्षम समूहों के साथ मिल कर बाल पंचायतों का गठन कर बच्चों द्वारा अपनी समस्याओं को उच्च स्तर तक पहुँचने का कार्य किया है ।
बाल कल्याण समिति, बाँसवाड़ा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष दिलीप रोकड़िया ने इस वेबिनार के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि सामूहिक प्रयासों से जिले में बाल श्रम की कुरीति को रोका जा सकता है । आवश्यकता है कि उनके परिजनों को जागरूक कर बच्चों को पलायन करने से रोकने की; उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ कर शिक्षित करने कि जिससे वे अपने जीवन में किसी भी कार्य को बेहतर ढंग से कर सकें ।
100 से अधिक प्रतिभागियों ने इस आभासी सम्मेलन में भाग लिया जिसमें जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले समुदाय के लोगों ने भी अपने विचार साझा किए। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की इस वर्ष का थीम ‘अभी कार्रवाई करें: बाल श्रम समाप्त करें ‘ को अमली जामा पहनाते हुए घाटोल ब्लॉक की पडोली राठोड़ बाल पंचायत की सचिव ‘मोनिका बामनिया ने किए गए प्रयासों के बारे में बताते हुए कहा कि उनकी पंचायत में सरपंच तथा पंचों की मदद से बाल श्रम में जाने वाले 8-10 बच्चों को उन्होने समझाईश कर बाल श्रम से रोक कर शिक्षा से जोड़ा है । जनजातीय स्वराज संगठन कसारवाडी के अध्यक्ष भलजी भाई डामोर ने भी उनके संगठन द्वारा अपने गाँवो को बाल मित्र बनाने के लिए किये जा रहे प्रयासों से सभी को अवगत करवाया I
परमेश पाटीदार, ज़िला संयोजक, चाइल्ड लाइन 1098, बाँसवाड़ा ने अपने समापन भाषण में सभी का धन्यवाद देते कहा कि गत कई वर्षों से बाल श्रम को रोकने की मुहिम में रोकड़िया जी एक सराहनीय कार्य कर रहे हैं जिन्हें जनजातीय क्षेत्र में बच्चों के साथ कार्य करने का अनुभव है और वाग्धारा के प्रयासों से पूर्व में 20 गाँवों को बाल-श्रम मुक्त घोषित करवा चुके है। परमेश पाटीदार ने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में वे समुदाय के साथ सहभागिता निभाते हुए सभी गाँवों को बाल-श्रम मुक्त घोषित करवाने में सफल होंगे।
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