हम गौरवान्वित हो रहे है ये बताते हुए की हमारे साथी श्री मानसिंह निनामा जी को दिनांक 15 दिसम्बर 2022 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद - भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद में आयोजित जलवायु स्मार्ट आजीविका एवं पोषण के लिए फसल गहनता प्रणाली पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन – 2022 ( ICSCI - 2022) के दौरान सर्वश्रेष्ट किसान पुरष्कार से नवाजा गया|
उन्होंने इस पुरस्कार का श्रेय वाग्धारा संस्था तथा संस्था सचिव जयेश जोशी जी को दिया| श्री मानसिंह ने बताया कि संस्था द्वारा प्राप्त मार्गदर्शन कि अनुपालना करने से ही यह फल मिला है, किसी भी अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन के दौरान सम्मान मिलाना बहुत गर्व कि बात है तथा एक स्वप्न प्रतीत हो रहा है |
मेरा परिचय :- नाम – मानसिंह निनामा, पिता का नाम रामजी निनामा, गाँव व ग्राम पंचायत सुन्द्राव, पंचायत समिति आनंदपुरी, जिला बाँसवाड़ा (राज.) का रहने वाला हूँ | मैंने खेती कि शुरुआत अपने पिताजी के साथ की सीखी, पिताजी ने मुझे परम्परागत खेती जो उन्होंने अपने बड़ो से सीखी वह मुझे सिखाया, क्योंकि पिताजी खेती करते थे अत: मुझे भी करनी ही थी | मैं 11 वर्ष पूर्व वाग्धारा संस्था से एक वाड़ी किसान के रूप में जुड़ा, जुड़ने के बाद मुझे कृषि सम्बंधित प्रशिक्षण प्राप्त हुए, संस्था द्वारा कृषि विशेषज्ञ द्वारा मेरे खेत पर जानकारी एवं परामर्श प्राप्त हुआ, साथ ही समय समय पर मार्गदर्शन मिलता रहा | सबसे महत्वपूर्ण मैंने यह सिखा कि खेती सिर्फ व्यापर या बाजार के लिए ही नहीं वरन मेरे एवं परिवार के पोषण का साधन है, और मैंने समन्वित खेती पद्दति को अपनाया| जिसमे मैंने फलदार पौधे आम, अमरूद, निम्बू, कटहल, सह्तुत, जामुन, सीताफल, अनार, पपीता आदि पौधे लगाये साथ में चारा, जलावन, इमारती लकड़ी, फल, फुल, नत्रजन फ़िक्सिंग, मिट्टी कटाव रोकने हेतु पडत जमीन तथा खेत की मेड पर वानिकी प्रजाति के पौधे लगाकर स्वयं का जंगल तैयार किया| कृषि वानिकी के साथ-साथ अंतर फसल, मिश्रित खेती, हगडी खेती, जैविक कृषि पद्दति, फसल चक्र को अपनाया| मैंने समेकित खेती करते - करते संस्था के मार्गदर्शन से कई नवाचार किये है|
मैंने समेकित खेती को मजबूती के साथ सिख कर लागु किया | समुदाई के अन्य लोगो, संगठन के साथ नवाचार को बताया एवं समेकित खेती तंत्र को आगे फ़ैलाने हेतु प्रयास किये | आज मेरे बच्चे जो की उच्च शिक्षा ले रहे है उन्हें भी जब समय मिलाता है खेती कि तकनिकी के बारे में बात करता हूँ | मै आज खाद्यान, बीज, दाल, सब्जी, पशु के लिए चारा आदि पर आत्म निर्भर हूँ | साथ ही घर में उपयोग के बाद बची हुई फसल को बेच कर सालाना जैसे खरीफ़, रबी, जायद फसल से, बकरी पालन से, एवं फलदार पौधे से प्राप्त फल से दो लाख से ज्यादा आमदनी लेता हूँ | समाज में जब भी बैठक में जाता हूँ तो लोग मेरी दी गई राय को धयन से सुनते है तथा प्राथमिकता देते है | मै एक किसान के रूप में अपने आप को एक संपन्न आदमी मानता हूँ |
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