राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी जी के द्वारा बापू की प्रतिमा का अनावरण

वागड़ की धरती पर बापू के स्वराज के सपने को साकार करता जनजातीय स्वराज सम्प्रभुता समागम 2019 का भव्य शुभारंभ
December 11, 2019
District administration awarded Vaagdhara on Republic Day 2020
January 27, 2020
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वाग्धारा परिसर में गांधी मूर्ति का अनावरण करने की बाद समारोह को संबोधित करते हुए राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी ने कहा कि ग्राम व्यवस्था में हर तरह के निर्णय का अधिकार ग्रामवासियों को होना  चाहिए।

डॉ सी पी जोशी ने संविधान के 73वें तथा 74वें   संशोधन के अनुरूप ग्राम स्वावलंबन पर ज़ोर देते हुए कहा कि untied फ़ंड को खर्च करने में सरकार का दखल नहीं होना चाहिए। उन्होने कहा कि हमारी सोच विदेशी ज्ञान पर आधारित नहीं हो कर परंपरागत देसी ज्ञान पर होनी चाहिए। लोगों में एकजुटता बनाये  रखने का आव्हान करते हुए कहा कि जब सब लोग मिलकर अपनी सोच का प्रतिनिधि चुनेंगे तो ग्राम व्यवस्था को कोई खतरा नहीं होगा तथा जन प्रतिनिधि की आवाज़ लोगों की आवाज़ से अलग नहीं होगी।

उनहोने कहा कि राजनीतिक दलों की विचारधारा के आधार पर राजनीती से लोकतन्त्र मज़बूत होता है अन्यथा दूसरी बातें लोकतन्त्र को प्रभावित करती हैं।

स्वयंसेवी संगठनों की चर्चा करते हुए डॉ जोशी ने कहा कि इन संगठनों  की भूमिका लोगों में जन चेतना जागृत करने की होनी चाहिए।

कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने खेती में  कीटनाशकों का बेतहाशा इस्तेमाल करने पर चिंता जताते हुए कहा कि यह बीमारियों का एक बड़ा कारण है । उन्होने कहा कि आज की खेती के खतरों से परेशान हो कर ही लोग परंपरागत खेती की ओर मुड़ रहे हैं । उन्होने कहा कि सरकार परंपरागत खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।  वाग्धारा के सचिव जयेश जोशी ने सभी मेहमानों का पगड़ी पहना कर स्वागत करते हुए बांसवाड़ा को आम उत्पादन और देशी बीज का बड़ा केंद्र के रूप में विकसित करने में सहयोग देने की मांग करते हुए कहा कि यहाँ की जलवायु और मिट्टी इसके अनुरूप है।  समारोह को oxfam के अमिताभ ने  कहा कि लोगों  के हकों की रक्षा एवं क्षेत्रीय विकास में स्वयं सेवी संगठनों की भूमिका अहम है।

पूर्व मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय ने परंपरागत खेती एवं रहन-सहन की व्यवस्था के संरक्षण पर ज़ोर देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में कई प्रकार की फसलों पर  नष्ट होने का खतरा  मंडरा रहा है। उन्होने कहा कि पशुपालन में भी पारंपरिक व्यवस्था को ही बनाये  रखना ही ज़रूरी है लेकिन ज़्यादा दूध के लिए पशुओं को टीके लगाए जा रहे हैं तथा गोबर का उपयोग भी पूरा नहीं हो पा रहा है।

इस अवसर पर डॉ जोशी ने वाग्धारा की प्रदर्शनी को देखने के बाद कहा कि यहाँ की परंपरागत फसलों के पेटेंट कराया जाना चाहिए।