कृषि स्वराज – पहले खुद अपनाया अब जन-जन के लिए पदयात्री जगा रहे अलख

स्वराज संदेशों से बदलाव की बयार लाने के लिए निकली पदयात्रा से जुड़ने लगा जन मानस
September 15, 2022
जन-जन को स्वराज का सन्देश देते  “स्वराज संदेश-संवाद पदयात्रा” वागड़ से मेवाड़ पहुंची
September 18, 2022
जीवन में बाजार पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से और लुप्त होती परंपरागत कृषि प्रणालियाँ को पुनर्जीवित कर स्वयं अपनाने और उसके सुखद परिणाम पा लेने के पश्चात् “स्वराज संदेश-संवाद पदयात्रा - के यात्री अब यही अलख जन-जन के लिए जगा रहे हैं। बांसवाड़ा से जयपुर की ओर बढ़ते ये स्वराजी सभी को यही सन्देश दे रहे हैं कि जहाँ-जहाँ समुदाय की परम्पराएँ जीवित हैं वहाँ -वहाँ समुदाय अपनी जीवन शैली को अपने विशिष्ठ अंदाज़ में जीता हुआ अपना जीवन सुख पूर्वक गुज़ार रहा है।
 
बाज़ारोन्मुख नीतियों को दरकिनार कर यह समुदाय अपना बीज सहेज कर, अपने खेत का पानी खेत में बचा कर, पशुधन की सहायता से सच्ची खेती कृषि के सरोकार निभा रहा है। कोविड महामारी के दौरान इस समुदाय ने अपने आप को अपनी इन्हीं परंपरागत पद्धतियों को अमल में ला कर अपने आप को इस महामारी से बचाये रखा। स्वयं की आवश्यकताओं को स्वयं के स्तर पर पूरा करने से लॉकडाउन जैसी स्थितियों से आसानी से पार पा लिया गया।
समुदाय अपना यही आग्रह ले कर जयपुर तक जा रहा है कि समुदाय से जुड़ी सभी नीतियाँ जाहे वह शिक्षा को ले कर हो, खेती या जल, जंगल अथवा जमीन से सम्बंधित हो, वे सब स्थानीय मांग और स्थितियों के अनुरूप बनाई जानी चाहिए। हमारे खेतों में और किसानों में वो क्षमता है कि वह अपने घर तथा गांव के लिए आवश्यक भोजन व पोषण जुटा सकता है। आवश्यकता है तो इस बात की , कि उसके ऊपर कोई नयी अथवा व्यपारोन्मुख प्रणाली थोपी न जाये।
 
वाग्धारा संस्था के तत्वावधान में चल रही स्वराज सन्देश - संवाद यात्रा धीरे धीरे पूरे जोश और उत्साह के साथ आगे बढ़ रही है। मार्ग में मिल रहे अपार समर्थन और सम्मान तथा जगह-जगह स्वागत यह बताता है कि स्वराज सन्देश से हर व्यक्ति और समुदाय अपने आप को जुड़ा पाता है।

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