महात्मा गाँधी एवं विनोबा जी के रचनात्मक कार्यो के क्रियान्वयन एवं अनुभवों को आम जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से प्रारम्भ की गयी “स्वराज सन्देश-संवाद पदयात्रा” स्वराज संवाद कार्यक्रमों के बीच बाँसवाड़ा से अपनी 500 किलोमीटर की पदयात्रा तय कर आज जयपुर पहुंचेगी।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विकास के सही उदाहरण, स्वराज तथा स्वराज द्वारा समाधान को समाज और समुदाय के बीच में प्रतिस्थापित करने तथा समुदाय के आग्रह को व्यापक स्तर तक ले जाने के उद्देश्य से आयोजित इस यात्रा को हर तबके से जन समर्थन व स्वराज विचारों को सभी समुदाय के लोगों का संबल मिल रहा है। आदिवासी जीवनशैली पर आधारित स्वराज पद्धतियों और विचारों को व्यापक स्तर तक पहुँचाने, सरकार एवं अन्य समाज के विभिन्न तबकों के साथ संवाद स्थापित करते हुए सामूहिक ज्ञान को एक छत के नीचे लाकर एक दूसरे की स्वराज आधारित पद्धतियों को सीखने एवं व्यवहार में लाने हेतु विचारों का आदान-प्रदान करते हुए यह यात्रा प्रकृति और इंसान के बीच एक सेतु का निर्माण का कार्य कर रही है।
वाग्धारा संस्था विगत कई वर्षों से वागड़ अंचल के बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ तथा डूंगरपुर में प्रकृति के संरक्षक समुदाय के साथ आदिवासी स्वराज की स्थापना को पुनः प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्यरत है। गत कई वर्षों से सच्ची खेती की परम्पराओं तथा पद्धतियों को अपना कर समुदाय ने पुनर्जीवित किया है और अपने खोये हुए स्वराज को एक बार फिर से पाने में सफ़लता पायी है। इन्हीं पद्धतियों को अन्य समुदाय के साथ साझा करते हुए संवाद स्थापित करने का प्रयास इस यात्रा के माध्यम से किया जा रहा है। वाग्धारा के सचिव जयेश जोशी ने बताया कि स्वराज को सही मायने में जीते हुए आदिवासी समुदाय ने सदियों से आज तक प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण व संवर्द्धन किया है तथा जीवन मूल्यों को समाज के लिए जीवित रखा है।
उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में आज देश और दुनिया में जो संवादहीनता की स्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं उसे ख़त्म करने और आज की बदली हुई जीवनशैली में प्रसन्नता और समरसता के जीवन का उपाय स्वराज की जीवनशैली है और इसे पुनः स्थापित कर दुनिया को एक सन्देश देने की आवश्यकता है।
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