स्वराज सन्देश-संवाद पदयात्रा पहुंची जयपुर – कल होगा स्वराज संवाद कार्यक्रम

महात्मा गाँधी एवं विनोभा भावे के रचनात्मक कार्यों के क्रियान्वयन और अनुभवों का सन्देश देती स्वराज सन्देश संवाद पदयात्रा बाँसवाड़ा से 500 किलोमीटर की यात्रा तय कर आज जयपुर पहुंचेगी
September 29, 2022
नीतियाँ ऐसी हों जो समुदाय की संप्रभुता को बचाए रखने में मदद करे
October 1, 2022
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आदिवासी जीवनशैली के अनुभवों के साथ महात्मा गाँधी एवं विनोभा भावे की स्वराज अवधारणा का सन्देश देती स्वराज सन्देश संवाद पदयात्रा के जयपुर पहुँचने के अवसर पर कल समग्र सेवा संघ परिसर, दुर्गापुरा में प्रातः 11 बजे स्वराज संवाद कार्यक्रम होगा जिसमें जन साधारण और समुदाय के प्रतिनिधियों के अतिरिक्त समाज के प्रबुद्ध लोगों, कृषकों, युवाओं, समाज सेवी संगठनों और विभिन्न वर्गों और संस्थाओं के साथ स्वराज पर चर्चा होगी।

सृष्टि के संवाहक, समष्टि के पुरोधा, संसाधनों के रक्षक - पोषक, सुख समृद्धि के राही और प्रकृति के संग्रक्षक – अदिवासी समुदाय के नेतृत्व में "स्वराज संदेश - संवाद पदयात्रा" राजस्थान के 4 क्षेत्रों और 7 जिलों – बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक से होती हुई जयपुर की 500 किमी की दूरी पैदल तय कर आज अपने गंतव्य पर पहुंच गई।

जयपुर में मालपुरा गेट पहुँचने पर पदयात्रियों का सांगानेर वेलफेयर सोसाइटी की ओर से मुज्ज़मिल रिज़वी, अब्दुल मजीद राजा भाई, निज़ाम और फैज़ल तथा जमात ए इस्लामी हिन्द, सांगानेर की ओर से डॉ रियाज़, शमसुद्दीन जी अब्दुल रशीद, सलीम व् इफ्तेकार द्वारा स्वागत किया गया। इस अवसर पर समग्र संघ के अध्यक्ष सवाई सिंह जी ने कहा यह पदयात्रा पूरे प्रदेश को एक सन्देश देगी। ग्राम स्वराज की अवधारणा थी कि लोग अपनी व्यवस्था स्वयं संभालें परन्तु सारे कार्य जिला प्रशासन के हाथों में होते हैं। हमें ये स्थिति बदलनी होगी। रेवेन्यू अधिकार ग्राम सभा व पंचायत को हस्तांतरित होने चिहिए। संस्था की ओर से भी सभी का अभिनन्दन किया गया।

मानव का मानव के साथ और मानव का प्रकृति के साथ खोये हुए संवाद को पुनर्स्थापित करने, जल, जंगल, ज़मीन, पशु, बीज, खाद्य व पोषण स्वराज विषयों पर गहन चर्चा करने और स्वराज के संभावित मॉडल तलाशने तथा विभिन्न सम्बंधित मुद्दों के संभावित स्वेदेशी समाधान को जन समुदाय के समक्ष उजागर करन के उद्देश्य से विभिन्न समुदायों के लगभग 200 लोगों के साथ बांसवाड़ा अंचल के संरक्षक समुदाय की “स्वराज संदेश-संवाद पदयात्रा 11 सितम्बर को जनजातिय स्वराज केन्द्र, कूपड़ा से रवाना हुई जिसमें जन जुडाव के साथ अब ये संख्या बढ़ कर 300 पदयात्रियों तक पहुँच गयी है।

यात्रा में वनों के बीच बहती अविरल जलधारा, स्वास्थ्य वर्धक प्राकृतिक जड़ी-बूटियाँ एवं प्रकृति से मानव का जुड़ाव अपने आप में एक जीवंत सन्देश दे रहा था कि किस प्रकार से मानव की छेड़-छाड़ से परे प्रकृति अपने मूल रूप में कितनी सुन्दर है और यही सन्देश इस पदयात्रा के माध्यम से देने की कोशिश की जा रही है कि मानव का प्रकृति के साथ खोया हुए जुड़ाव एक बार पुनः स्थापित हो।

वाग्धारा के सचिव जयेश जोशी ने कहा कि सही मायने में आदिवासी समुदाय ने ही ग्राम स्वराज की अवधारणा को जिया है। उन्होंने प्रकृति को सहेजा है और उसे संरक्षित और संवर्धित किया है। समुदाय द्वारा अपने संस्कृति को बचाते हुए अपना स्थानीय देसी बीज सहेज कर, अपने खेत का पानी खेत में बचा कर, पशुधन की सहायता से सच्ची खेती कर परंपरागत कृषि पद्धतियों के सरोकार निभा रहा है। कोविड महामारी के दौरान इस समुदाय ने अपने आप को इन्हीं परंपरागत पद्धतियों को अमल में ला कर इस महामारी से बचाये रखा। स्वयं की आवश्यकताओं को स्वयं के स्तर पर पूरा करने से लॉकडाउन जैसी स्थितियों से आसानी से पार पा लिया गया। इसी आत्मनिर्भरता का ज़िक्र गाँधी जी के ग्राम स्वराज की अवधारणा में निहित है।

यात्रा का नेतृत्व कर रहे वाग्धारा संस्था के सचिव जयेश जोशी ने कहा कि हमारे स्वराज के अनुभव चाहे वे सच्ची खेती के हों या मानव विकास अथवा समुदाय की भागीदारी के हों बहुत अच्छे रहे हैं। हमारी इच्छा है कि किसान की थाली में जो भोजन होता है वह सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS ) का हिस्सा बने। हमारी इस यात्रा का यही उद्देश्य है कि परंपरागत खेती को बढ़ावा मिले, ग्राम स्तर पर बच्चों को बुनियादी शिक्षा के साथ साथ उनके अधिकार सुरक्षित रहें और खाद्य एवं स्वास्थय का स्वराज स्थापित हो। इसके लिए हमें शुरुआत अपने घर से ही करनी होगी। जिस प्रकार घर की समस्या का समाधान घर में अपने तरीकों से खोजा जाता है वैसे ही गाँव की समस्याओं का समाधान ग्राम स्तर पर ढूंढना हमारी ज़िम्मेदारी है। आज़ादी के बाद सभी को यह लग्न लगा कि अब सारे काम – काज सरकार करेगी जो कि गाँधी जी की स्वराज संकल्पना के अनुरूप नहीं है। यदि कार्य हमारा है तो उसकी ज़िम्मेदारी भी हमारी है। समुदाय की यही इच्छा है कि समुदाय से जुड़े सभी कार्यक्रम जाहे वह शिक्षा को ले कर हो, खेती या जल, जंगल अथवा जमीन से सम्बंधित हो, वे सब स्थानीय मांग और स्थितियों के अनुरूप हों और सामाजिक समरसता एवं सद्भाव को बढ़ावा देने वाले हों।

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Aaqib Ahmad

IT Support & Development

Aaqib holds a Master of Computer Applications (MCA) from Jawaharlal Nehru Technological University, Hyderabad. With experience in data analysis, website development, and market research, he transitioned to the development sector seeking purpose-driven work and new challenges.
Working at Vaagdhara has transformed not just my career but my outlook on life. I came here as an IT professional, but I have grown into someone who understands the pulse of rural and tribal communities.