दो दिवसीय राष्ट्रीय पारंपरिक कृषि एवं पोषण स्वराज सम्मेलन

परंपरागत कृषि और पोषण स्वराज सम्मेलन का आयोजन
May 9, 2022
Farmers, NGOs & agriculture experts came together to save & promote natural farming
May 12, 2022

जवाहर कला केंद्र, रंगायन सभागार में मंगलवार को दो दिवसीय 'राष्ट्रीय पारंपरिक कृषि एवं पोषण स्वराज सम्मेलन' संपन्न हुआ सम्मेलन के दौरान बीज, मृदा, जल खाद्य एवं कृषि विविधता तथा स्वराज पर समुदाय के अनुभव, अभ्यास एवं अध्ययन पर चर्चा. मृदा स्वास्थ्य में सुधार के उद्देश्य से, बीजों की विविधता के साथ संरक्षण को सुनिश्चित करना; बीज की स्वदेशी स्थानीय किस्मों को बढ़ावा देना और पारंपरिक और लुप्त होती स्थायी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के क्रम में  कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, जल संसाधन मंत्री महेंद्र सिंह मालवीय, विभिन्न जिलों के किसान, राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों की महिला किसान, कृषि शोधकर्ता, गैर सरकारी संगठन और विभिन्न विशेषज्ञ द्वारा पर्यावरण की मौजूदा समस्या को साझा करने, चर्चा करने और ठोस समाधान प्राप्त करने के लिए एक साथ एक मंच पर आये।

राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र में मौजूदा चुनौतियों का संज्ञान लेते हुए कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ जैसे क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति ऐसी है जहाँ पर खेती करना बहुत मुश्किल है, पहाड़ों वाला असमान भूभाग जहाँ पर जब भी बारिश होती है तो पहाड़ों की सतह से मिट्टी ढलान की वजह से बहकर चली जाती है और फिर इसे बनने में सालों लग जाते हैं। इन बदली प्रकृति प्रद्दत स्थितियों से किसानों को कठिनाइयों से जूझना पड़ता है कोरोना महामारी के बाद लोग खाने-पीने पर ध्यान देने लग गए जैविक उत्पादकों  के खाद्य का लोग उपयोग करने लगे हैं पर फिर भी उसकी मात्रा बहुत कम है |  पुराने संसाधन है उनको उपयोग में लेते हुए और नई तकनीक को काम में लेते हुए किसान भी उस में रुचि ले और नौजवान पीढ़ी भी उसमें जुड़ी हुई हो वर्तमान समय में मैंने यह भी देखा है कि पढ़ाई लिखाई करने के बाद युवा के दिमाग में एक ही चीज रहती है कि कैसे भी मिले सरकारी नौकरी मिल जाए, दूसरे विकल्प के रूप में प्राइवेट नौकरी करना पसंद करते हैं और शहर में रहना पसंद करते हैं | एक जमाना था जब  जंगल में जानवर भी थे पर प्रकृति के साथ बैलेंस बना रहता था |

कटारिया का समर्थन करते हुए जल एवं संसाधन मंत्री महेंद्र सिंह मालवीय ने कहा कि मैं स्वयं एक आदिवासी होने के नाते, उसी क्षेत्र के रहने वाले लोगों की चुनौतियों को समझता हूं, वास्तव में मेरा घर अभी भी घने जंगल में है और ऐसी घटनाएं हुई हैं जब जंगली जानवर प्रवेश कर चुके हैं, मूल रूप से मैंने प्रकृति को बहुत करीब से देखा है। राजस्थान के जल संसाधन मंत्री महेंद्र सिंह मालवीय के अनुसार-आज के सम्मेलन का विषय यह है कि छोटा अनाज को किस तरह से जीवित रख सकते हैं और बाजार में कैसे लाया जा सकता है ? मैं एक आदिवासी हूँ और समुदाय से निकले मुद्दों पर जब इस तरह की बातें निकलकर आती हैं तो मुझे खुशी मिलती है | मैंने ऐसा समय भी देखा है जब पूर्व दिशा में एक बादल निकल कर आता था और 3 से 4 घंटे में इतनी बारिश हो जाती थी कि नदी और नाले भर जाते थे अब ऐसा समय है कि आसमान में 12 महीने बादल घूमते हैं लेकिन बारिश नहीं होती है | मानव ने ही प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की है और कोई ज़िम्मेदार नहीं है | यह बात सत्य है कि जो पुराना अनाज था उसकी 1 रोटी खाने के बाद पूरे दिन पेट भरा रहता था जबकि अब के समय में 4 रोटी खाने के बाद भी 2 घंटे में ही भूख महसूस होने लगती है | एक समय था जब बी. पी. शुगर जैसी बीमारियाँ नहीं होती थीं लेकिन अब खानपान के बदलाव से ये बीमारियाँ बहुत पाई जाती हैं | खोया हुआ बीज और पुरानी पद्धतियों को वापस से अपनाए जाने की ज़रूरत है |

कृषि से जुड़े लोगों के संयुक्त प्रयासों जमीनी हकीकत का सामना करने वाले लोगों ने जयपुर हाट में स्वदेशी बीज, जैविक उत्पादों की दो दिवसीय प्रदर्शनी के साथ सक्रिय रूप से भाग लिया । एक स्थानीय किसान जो अपनी खेती की प्रक्रिया के दौरान स्वदेशी बीजों का उपयोग करते हैं, के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने जोड़ा कि  "प्रदर्शन हेतु जो  बीज हैं उनमें से एक महुआ का बीज है, उन्होंने विस्तार से बताया कि यह स्वस्थ पौधों में से एक है जो गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छा है और कुपोषण को दूर करने में मदद करता है। "

 समापन दिवस (10 मई) को, मुमताज़ मसीह, अध्यक्ष, Center for Development for Voluntary Sector बातचीत में शामिल हुए और समुदाय को सरकार से जोड़ने के लिए एक सेतु के रूप में कार्य कर रहे स्वयं सेवी संस्थानों  के प्रयासों की सराहना की। मुमताज मसीह के अनुसार “मैं इस विभाग में तीन महीने पहले ही  जुडा हूं लेकिन जब से मुख्यमंत्री  अशोक गहलोत ने इस विभाग को स्वयं सेवी संस्थानों  को महत्व देने के क्रम में शुरू किया है | हाल ही में, उदयपुर संवाद कार्यक्रम से जुड़ने का मौका मिला, जहां मैंने स्वयं सेवी संस्थानों की समस्याओं को जानने के लिए सम्बन्धित लोगों के साथ बातचीत की और उनकी चुनौतियों को समझने की कोशिश की ताकि राज्य में सुशासन स्थापित किया जा सके। इसी तरह के संवाद कार्यक्रम, मैं राज्य भर के सभी विभिन्न जिलों में आयोजित करने की योजना बना रहा हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि बहुत जल्द एक वेब पोर्टल शुरू किया जाएगा जहां स्वयंसेवी संस्थायें अपना पंजीकरण करा सकते हैं और सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। दो दिवसीय कार्यक्रम का समापन मृदा स्वास्थ्य, बीज संरक्षण और प्रबंधन, जैविक पहचान के लिए पीजीएस प्रमाणन और कृषि से संबंधित नीति की एडवोकेसी पर हुआ।

इस अवसर पर वक्ताओं में धर्मवीर कटेवा, जयपाल सिंह कौशिक, रॉबर्ट लियो, सुदर्शन अयंगर, जयेश जोशी, दीपक शर्मा, सनी सेबेस्टियन, सवाई सिंह और सुखदेव सिंह बोदक शामिल थे।