Launching of the Sustainable Livelihood Programme across 250 villages in MP

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कृषि एवं गैर कृषि आजीविका हस्तेक्षेप के माध्यम से लघु एवं सीमान्त कृषक परिवारों की आय में वृद्धि तथा जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए आज “सतत आजीविका कार्यक्रम” (Sustainable Livelihood Programme) के विधिवत शुभारम्भ की घोषणा सैलाना – बाजना से विधायक कमलेश्वर डोडियार ने की। 20,000 आदिवासी परिवारों के लिए आर्थिक रूप से आजीविका सुरक्षित बनाने की दिशा में कार्य करने के लिए आज वाग्धारा संस्था तथा एक्सिस बैंक फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में इस कार्यक्रम का झाबुआ जिले के पंचायत खेल मैदान, खवासा-थांदला में आयोजन हुआ । इस कार्यक्रम का उद्देश्य झाबुआ और रतलाम जिलों में आधुनिक कृषि हस्तक्षेप, उद्यमिता निर्माण, पशुपालन को बढ़ावा देना, अधिकारों की रक्षा और सरकारी योजनाओं के साथ आजीविका के अवसर उत्पन्न करना है।

कार्यक्रम के तहत योजनाबद्ध तरीके से प्रमुख आय उत्पन्न करने के लिए किये जाने वाले प्रयासों में आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने के लिए क्षमता निर्माण; भूमि का मृदा संरक्षण उपायों से उपचार कर फसल उत्पादन में वृद्धि ; सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से जल संचयन क्षमता को बढ़ाना; घरेलू आय बढ़ाने के लिए पशुपालन को बढ़ावा देना; परिवारों को पोषण एवं वैकल्पिक आय के स्रोत के रूप में पोषण वाटिका लगाने के लिए सक्षम बनाना; और किसान उत्पादक संगठनों तथा स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से कृषि मूल्य श्रृंखलाओं (एग्रीकल्चर वैल्यू चेन)को सुदृढ़ करना शामिल है ।

कार्यक्रम के शुभारम्भ की घोषणा करते हुए कमलेश्वर डोडियार ने कहा कि आदिवासी समुदाय जलवायु परिवर्तन तथा जैविक खेती के लाभ के प्रति जागरूक हैं – आवश्यकता उन्हें सही तकनीक एवं सही दिशा देने की । यदि आज हम जैविक खेती को अपनाएंगे - लोगों को सही खाना सिखायेंगे , इस सही दिशा में काम करेंगे तो आने वाले समय में कोई बच्चा कुपोषित नहीं होगा. आज यदि हम ने अपने को संभाल लिया तो हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित तथा स्वस्थ वातावरण का निर्माण कर सकेंगे । उन्होंने वाग्धारा द्वारा आदिवासी समुदाय की आजीविका सुधारने के किये किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए इस कार्यक्रम की सफलता की शुभकामनाएं दी तथा अपनीओर से हर सम्भव सहयोग का आश्वासन दिया ।

वाग्धारा संस्था के सचिव जयेश जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया तथा इस प्रकार के कार्यक्रमों की सफलता के लिए समुदायिक सहयोग के महत्व पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा, “यह परियोजना 250 गांवों में स्थित 20,000 परिवारों के लिए एक परिवर्तनकारी कदम है। आधुनिक सतत विकास प्रथाओं एवं पारंपरिक ज्ञान को परस्पर साथ जोड़ने से समुदाय में स्थायी परिवर्तन लाया जा सकता है।“ उन्होंने आगे कहा कि उपयुक्त तकनीक तथा परंपरागत ज्ञान उन्नत विकास के लिए आवश्यक है । यह देखने की ज़रुरत है कि किस प्रकार स्वराज आधारित जीवनशैली निभाते हुए गैर- निर्भरता वाला जीवन जी सकते हैं – खुशहाल कैसे रहें और पर्यावरण को नुक्सान न हो । विविध पेड़-पौधों – पशुधन और अनाज की जो विविधता आदिवासी जीवन में थी वह कहीं विकास की अंधी दौड़ में खो गयी है जिसे पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है ।

कार्यक्रम में थांदला के अनुभागीय अधिकारी तरुण जैन ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के प्रयासों पर बल देते हुआ कहा कि यह एक सोच की बात है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को क्या देकर जा रहे हैं । उन्होंने भी समुदाय को सही तकनीक व दिशा देने की बात कही । अपनी और से कार्यक्रम की सफलता के लिए सहयोग देने का विश्वास दिलाया ।

कार्यक्रम के प्रारंभ में कमलेश्वर डोडियार सहित सभी अतिथियों ने मृदा पूजन किया तथा इस अवसर पर सजाई गयी देसी बीजों की रंगोली तथा स्वराज आधारित आदिवासी जीवनशैली दर्शाते विभिन्न पक्षों पर एक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया जिसमें देसी बीज, आदिवासी वेशभूषा, उनके जीवन में काम आने वाली वस्तुएं तथा देसी जड़ी-बूटियाँ जो व्याधियों के उपचार में काम आती हैं शामिल थी ।

कार्यक्रम में एक्सिस बैंक फाउंडेशन के हर्षवर्द्धन धवन, अर्पिता रॉय करमाकर, सुबोध पुरानिक तथा इरफ़ान शेख ने भी भाग लिया तथा जनपद पंचायत अध्यक्ष कैलाश मूनिया तथा ए बी पी फेलो शीतल मानकर भी इसमें उपस्थित थे ।

इसी अवसर पर 'पर्यावरण स्वराज सम्मेलन 2024’ संवाद कार्यक्रम भी हुआ जिसमें प्रमुख प्रशासनिक अधिकारियों, आदिवासी नेताओं, पर्यावरण विशेषज्ञों और निजी क्षेत्र के प्रतिभागियों ने अपनी भागीदारी दी । इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन तथा आदिवासी आजीविका जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई ।

चर्चा में भाग लेते हुए कृषि मामलों के जानकार दीपक शर्मा ने आदिवासी समुदाय द्वारा प्रकृति से लेना और अन्य रूप में उसे पुनः प्रकृति को लौटने वाली वाली चक्रीय जीवनशैली के बारे में बताया कि यह जीवनशैली जलवायु परिवर्तन से निपटने में कारगर साबित हुई है जिसे पुनः जीवन में अपनाने की आवश्यकता है ।
जलवायु परिवर्तन के सन्दर्भ में ही संदीप खानवलकर , निदेशक इकोसोल एन्वायरो इंदौर ने परंपरागत जीवनशैली तथा कृषि पद्धतियों को पुनः अपने जीवन में अपनाने पर दिया तथा स्थानीय भोजन की विशेषताओं से अवगत करवाया – स्थानीय फसलें जलवायु अनुकूल होने के साथ ही पोषण सुरक्षा भी प्रदान करती हैं।

कृषि विशेषज्ञ पी एल पटेल ने परंपरागत रूप से उगाये जाने वाले भोजन पर जानकारी देते हुए बताया कि स्थानीय रूप से उपलब्ध भोजन जो कि पोषण से भरपूर था आज उसे भूल कर बाज़ार में मिलने वाले भोजन पर निर्भरता बढ़ गयी है. उन्होंने ज़ोर दे कर कहा कि स्थानीय भोजन तथा वनोपज को पुनः अपनी भोजन थाली में लाने की आवश्यकता है. मानसिंह निनामा ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किये और अपने पूर्वजों द्वारा दिए गए ज्ञान और पारंपरिक खेती को पुनः अपने जीवन में अपनाने की बात कही ।

कार्यक्रम में वाग्धारा के परमेश पाटीदार ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया तथा माजिद खान ने 4 वर्षों तक चलने वाले इस कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी । प्रभुलाल गरासिया द्वारा संचालित कार्यक्रम में रेणुका पोरवाल ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया ।

वाग्धारा संस्था महात्मा गाँधी जी के स्वराज की विचारधारा का अनुसरण करते हुए विगत दो दशकों से अधिक समय से आदिवासी समुदाय के साथ सतत विकास हेतु प्रयासरत है। संस्था दक्षिणी राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं गुजरात राज्य के आदिवासी क्षेत्र के 1168 गाँवों में 1,25,000 परिवारों के साथ कार्यरत है तथा स्वराज के सिद्धांतों पर आधारित सच्ची खेती, सच्चा बचपन और सच्चा स्वराज की संकल्पना के अंतर्गत आदिवासी समुदाय के समग्र विकास के लिए संकल्पित है। संस्था ने सतत एकीकृत कृषि प्रणाली के तहत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन , स्कूली एवं बुनियादी शिक्षा, बाल स्वास्थय एवं पोषण में सुधार जैसी पहल के मह्यं से आदिवासी समुदाय के जीवनस्तर को बहत्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं ।

एक्सिस बैंक फाउंडेशन: एक्सिस बैंक फाउंडेशन एक्सिस बैंक की समावेशी विकास और ग्रामीण भारत में स्थायी बदलाव की धरोहर को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह समाजसेवा और सामाजिक विकास के एजेंडे को केंद्रित और रणनीतिक दृष्टिकोण से बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था, जो भारत के प्रमुख वित्तीय संस्थानों में से एक है। यह फाउंडेशन समाज में सार्थक और स्थायी बदलाव को बढ़ावा देता है, जो समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण के माध्यम से भारत भर के वंचित ग्रामीण परिवारों के लिए आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने का लक्ष्य रखता है।

2011 में स्थापित 'सतत आजीविका कार्यक्रम' के माध्यम से, यह फाउंडेशन अपने साझेदारों, समुदायिक संस्थाओं और सरकारी विभागों के नेटवर्क के साथ मिलकर ग्रामीण समुदायों के लिए आय उत्पन्न करने के रास्ते तैयार करता है। इसका दृष्टिकोण यह है कि वह ऐसे सक्षम समुदायों का निर्माण करे, जिनके पास आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र हों, जिन्हें वही लोग संचालित करें, जिन्हें इसका लाभ मिल रहा है। 2025 तक, सतत आजीविका कार्यक्रम अपने सभी साझेदारों के सहयोग से 28 राज्यों में 2 मिलियन ग्रामीण परिवारों को आजीविका के अवसरों का एक समृद्ध पैकेज प्रदान करेगा।

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