कृषि एवं आदिवासी स्वराज समागम – 2023

Vagad Radio Receives Prestigious Recognition From Ministry of Information and Broadcasting
July 23, 2023
VAAGDHARA receives the ‘Gandhi Sadbhavna Sammaan’ Award
October 9, 2023
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जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए स्वराज आधारित आदिवासी जीवनशैली ही सर्वश्रेष्ठ
सरकार तक पहुंचेगी समुदाय की आवाज़

घर का पानी घर में – खेत का पानी खेत में-गाँव का पानी गाँव में बचाना होगा, पानी और मिट्टी दोनों को रोक कर रखना होगा वर्ना खेतों में सिर्फ पत्थर बचेंगे. पानी और मिट्टी बचेगी तभी अच्छा उत्पादन होगा. कम ज़मीन में अच्छी गुणवत्ता का पोषक अनाज कैसे उगाया जाये जिससे हम सब स्वस्थ व निरोगी रहें इसके प्रयास हम सभी को मिल कर करने होंगे.

आज स्वराज समागम में राजस्थान सरकार में जल संसाधन मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय द्वारा अपनी भागीदारी कार्यक्रम में पहुँच कर सर्वप्रथम एक हजार गाँवों से लाई गयी मिट्टी के विधिवत पूजन से निभायी.

हमारे आदिवासी जीवनशैली एवं जलवायु परिवर्तन – संस्कृति, अभ्यास एवं अनुभव संवाद में त्रिपुरा सुंदरी मंदिर प्रांगण के सामने आयोजित तीन दिवसीय “कृषि एवं आदिवासी स्वराज समागम – 2023” के समापन कार्यक्रम में वाग्धारा संस्था के द्वारा आदवासी संस्कृति की झलक दिखलाती प्रदर्शनी का भी उन्होंने अवलोकन किया, जिसमें देसी बीज, मृदा परीक्षण, बाल मित्र ग्राम, चक्रीय जीवनशैली, आदर्श ग्राम स्वराज, पशुपालन आदि घटक जो कभी हमारे जीवन का मूलभूत आधार थे और अब लुप्त होते जा रहे हैं. आदिवासी जीवनशैली जो जलवायु परिवर्तन का सामना करने की ताकत रखती है उसे पुनः अपनाने की आवश्यकता को बलवती करती इस प्रदर्शनी में सच्चा बचपन, सच्ची खेती और सच्चा स्वराज पर संस्था द्वारा समुदाय की भागीदारी के साथ किये जा रहे कार्यों की छाप स्पष्ट दिखाई दी.

समुदाय के प्रतिनिधियों ने तीन दिनों तक जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में पोषण सुरक्षा हेतु बीज, खाद्य एवं वानस्पतिक विविधता लिए एकीकृत कार्य; जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में सततता के लिए ऊर्जा, जल और मृदा प्रबंधन की दक्षता; जलवायु परिवर्तन कार्यों और संप्रभुता के लिए युवाओं का नेतृत्व निर्माण तथा जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में आदिवासी संस्कृति और चक्रीय जीवनशैली का पुनर्जीवीकरण जैसे गंभीर विषयों पर गहन चिंतन करने के पश्चात निकले निष्कर्षों को एक आग्रह पत्र के रूप में मंत्री को सौंपा जिसमें मुख्य आग्रह थे - कृषक परिवारों की आजीविका एवं पोषण सुरक्षा हेतु परंपरागत तरीकों के माध्यम से स्थानीय बीजो के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन को बढ़ावा देना; मिश्रित खेती को प्रोत्साहन देना; अतिक्रमित चारागाह भूमि को मुक्त करवाना; मृदा संरक्षण एवं मिट्टी सुधार के लिए विशेष कार्यक्रम चलाना; मृदा जल संरक्षण एवं जल संग्रहण के माध्यम से रबी खेती को बढ़ावा दिया जाये जिससे पलायन की समस्या को दूर किया जाये. पशुपालन, देसी खाद, देसी बीज, स्थानीय उत्पादन, हाट बाजार को पुनः अपनाया जाये जिससे रोज़गार को बढ़ावा मिले , जैविक खेती को बढ़ावा मिले; . नरेगा कार्यक्रम के माध्यम से ग्राम वन तथा खाद्य वन की स्थापना; स्थानीय उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करना तथा आदिवासी संस्कृति में कृषि के चक्रीय स्वरुप को पुनर्स्थापित करने के लिए समयबद्ध कार्यक्रम तैयार करना.

आग्रह पत्र सौंपने के पश्चात समागम का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए वाग्धारा के सचिव जयेश जोशी ने कहा कि प्रकृति के सभी घटकों का संरक्षण आदवासी समुदाय पीढ़ियों से करता आ रहा है . जब से रौशनी ही नहीं आयी थी तब से ऊर्जा का संरक्षण इसने किया है. आज के बदलते परिवेश में जलवायु परिवर्तन के सन्दर्भ में आदिवासी जीवनशैली वैज्ञानिक आधार पर किस प्रकार प्रकृति के क्षरण को रोकने में सहायक है ये सभी को बताने और समझने की आवश्यकता है. उन्होंने आगे कहा कि आदिवासी क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है. जैव इंधन को लेकर भी कुछ चिंताएं हैं जिन पर नीतिगत निर्णय लेने की आवश्यकता है. इस समागम से न सिर्फ विषयों को, विषय विशेषज्ञों को बल्कि सामुदाय की स्वराज विचारधारा को भी मज़बूती मिली है.

कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि, गाँधी दर्शन समिति के अध्यक्ष रमेश जी पंड्या ने मानवता एवं प्रकृति के हित में किये जा रहे प्रयास को सराहते हुए इस अवसर पर कहा कि कृषि के क्षेत्र में जो भटकाव हुआ है उसका परिणाम हम सभी भुगत रहे हैं . रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशी के उपयोग से जो खाद्यान पैदा हो रहा है उसने कई प्रकार की शारीरिक तथा मानसिक व्याधियों को जन्म दिया है . उन्होंने आगे कहा कि आदवासी समुदाय सदियों से प्रकृति का संरक्षण करता आ रहा है और आगे भी करता रहेगा. गाँधी जी के स्वराज की भावना के अनुरूप मानवता के हित के लिए जो कार्य इस समागम के माध्यम से किया जा रहा है वह निश्चय ही शुभ परिणाम तक पहुंचेगा.

समागम में विभिन्न राज्यों से पधारे विषय-विशेषज्ञों ने अपने – अपने अनुभव साझा किये तथा समुदाय का विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन किया. इनमें – बायफ, महाराष्ट्र से संजय पाटिल, भारत बीज स्वराज मंच, कर्नाटक से जेकब निल्लेथनम , आर.आर.ए.एन. नेटवर्क हैदराबाद से सब्यसाची दास, इजी कृषि प्राइवेट लिमिटेड, बैंगलोर से प्रभाव गरुडाध्वज, कॉम्बैट क्लाइमेट चेंज, ओडिशा से रंजन पांडा, पर्यावरण एवं विकास अध्यन केंद्र, जयपुर से डॉ मनोहर सिंह राठौर, एकोसोल एन्विरो इंदौर से संदीप खानवलकर, कृषि विभाग बाँसवाड़ा के उपनिदेशक वर्मा जी , महाराष्ट्र से मोरेश्वर उइके, ई.एल.आई.सी.आई.टी. फाउंडेशन, अहमदाबाद से लोपा शाह, दिल्ली से कृष्णा अल्लावारू, ओडिशा से सोम्या रंजन, चौपाल छत्तीसगढ़ से गंगा भाई, महाराष्ट्र से कुसुम ताई अलम, राजस्थान किसान आयोग के सदस्य सुखदेव सिंह बुरडक, साइल बैंगलोर से पी श्रीनिवासन वासु तथा बासवराज , ओडिशा से पी एस चंद्रशेखर राव , मकार्थर फाउंडेशन , जयपुर से मुरारी गोस्वामी, दिल्ली से जरनैल सिंह प्रमुख थे एवं संस्था की बोर्ड की सदस्या अनीता डामोर ने भी अपने विचार व्यक्त किये.
समागम के दौरान 26 कृषि एवं जनजातीय स्वराज संगठनों के निर्णायक मंडल द्वारा रात्रि को सांस्कृतिक समारोह में आदिवासी झलक दिखाई दी जिसमें प्रमुख भागीदारी संगठनों के माध्यम से दिनेश निनामा, कैलाश निनामा, सोना डामोर तथा प्रभुलाल की रही. कार्यक्रम बृज मोहन दीक्षित एवं सुखदेव सिंह बुरडक की अध्यक्षता में हुआ एवं आभार वाग्धारा के दीपक शर्मा ने ज्ञापित किया.