इंसान में स्वराज के बीज की बुवाई अगर जल्दी (किशोरावस्था) में कर दी जाए तो युवावस्था में नेतृत्व क्षमतायें गहरी और मजबूत होने और व्यक्तिगत, सामूहिक विकास की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं ।
इस दृष्टि और एक साझा समझ के साथ वाग्धारा संस्था की इकाई स्वराज शाला के अंतर्गत अनाथ, पालनहार पात्रता और अत्यंत गरीब परिवारों से 110 किशोर और किशोरियों के जीवन कौशल और नेतृत्व विकास कार्यक्रम का शुभारम्भ किया है। दक्षिणी राजस्थान और मध्यप्रदेश 2 राज्यों के भीलआदिवासी समुदाय में दूर दराज के गाँवों में तैयार जन संगठन से जुडाव रखने वाले ये बच्चे युवाओं और माता-पिता के साथ समान रूप से आगे बढ़ने के मार्ग पर अग्रणी की भूमिका में हो सकते हैं।
बाल स्वराज नेतृत्व विकास कार्यक्रम में, आवासीय शिविरों के माध्यम से जुड़कर बच्चे नेतृत्व पर ध्यान केंद्रित करना और साझा चुनौतियों की पहचान करना, समाधान आधारित सोच का विकासकर सकेंगे और संचार में सक्रिय भागीदारी के माध्यम से स्थानीय शासन की ओर आगे बढकर सबके लिए समान अवसर के निर्णय लेने की भूमिका में में शामिल हो सकेंगे।
3 दिवसीय आवासीय शिविर की श्रृंखला में इस पहले शिविर की थीम “मैं और हम” थी । शिविर से जुड़कर किशोर किशोरियों ने एकजुट होकर विविध प्रकार की प्रक्रियाओं, खेल, गतिविधियों से जुड़कर खुद को और एक दूसरे को जाना और समझा और स्वप्रेरित बच्चों ने शिविर के कार्यों को सहभागिता के साथ मिलकर करने की ज़िम्मेदारी भी खुद ली। इस प्रकार की प्रक्रियाओं से जुड़कर अभ्यास करने से क्षमतायें बढ़ सकेंगी, स्वयं में बदलाव आएगा और बदलाव को आत्मसात करके आचरण करना शुरू कर देंगे और एक सार्थक उद्देश्य को लेकर अपने परिवार के साथ आगे बढ़ना सीख जायेंगे।
इस प्रकार सच्चे बचपन के हकदार इन बच्चों के लिए नेतृत्व की भूमिका में तैयार होना निश्चित रूप से एक दूर के सपने जैसा नहीं रहेगा।
Plant Swaraj early so the roots of leadership grow stronger in youth, guiding them towards both individual and collective growth.
With this vision and a shared understanding, Swaraj Shala, a unit of Vagdhara, has launched a life skills and leadership development programme for 110 adolescents from orphan, foster eligible and extremely poor families. In the remote villages of the Bhil tribal community in the two states of southern Rajasthan and Madhya Pradesh, these children associated with the Jan Sangthan’s of the tribal community can be at the forefront of the way forward along with the youth and parents alike.
In the Bal Swaraj Leadership Development Programme, by engaging through residential camps, children were able to focus on leadership competencies; they worked collectively, identified common challenges and developing solution-based thinking, and be involved in decision-making for equal opportunities for all by moving towards local governance through active participation in communication.
The theme of this first camp in the series of 3-day residential camp was "Me and Us." By joining the camp, the adolescent boys & girls worked to understand self, themselves and each other by getting involved in a variety of processes, games, activities, watched videos, thus these self-motivated children also started taking the responsibilities together with participation. Practicing by engaging in such processes will enhance abilities, bring about a change in oneself and start behaving by assimilates the change and learning to move forward with one's family with a meaningful purpose.
These children deserve a true childhood where they are groomed for leadership roles. It is true that when children see their capacity for leadership not as a distant dream, but as a practice that starts with what they can achieve today, they begin to conduct themselves and guide their families with relevance and purpose.
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