Introduction - In this story, Kanta Devi, a resident of Kali Ghati (Pipalkhunt block, district Pratapgarh), shares her experiences with facing existential problems and the relief provided by joining Vaagdhara’s program.
Before the Change – “When Vaagdhara first organized meetings in our village, my friend Sharda told me to come and join, because I might receive some support from the organization by participating in the women’s group. At the time, I had my doubts about joining this group. What would I do in the meeting? God himself is displeased with me- I have 3 children, my husband died 2 years ago, and I have to work all day just to arrange food for me and my children. Even if I joined the group, how would I be able to participate if I have no money to spare?”
Efforts Made by Vaagdhara - “One day, I finally decided to join the meeting of the Saksham Samooh, during which information about government schemes was given to us by one of Vaagdhara’s team members, Dhanraj Kumawat. There, I was able to bring up that even though my husband had passed away, I was still not benefiting from any government schemes. Upon hearing this, Dhanraj collected all my personal information, and told me not to worry, because ‘my concern is now our concern’. After listing all of my problems, priority was given to avail myself of the widow pension and Palanhar schemes.”
How the Changes Started - Thanks to the efforts of Vaagdhara’s Cluster Facilitator Dhanraj Kumawat and the local JSS facilitator, within two months, Kanta Devi started receiving a pension of ₹ 500 per month (Widow Pension amount as of 2020). After that, forms for the Palanhar scheme were also filled with the help of Vaagdhara’s team members, and ₹ 12000 was credited into her account 5 months later. Kanta Devi expressed her gratitude to Vaagdhara, saying: “There was a time when I didn’t know how my situation would ever improve and I thought that I might have to die. But thanks to the efforts of Vaagdhara, today my children are attending school and I am getting Rs. 500 every month. Vaagdhara provided me with vegetable kits to cultivate my own Poshan Vatika (nutrition garden), and now I am not only able to feed my family, but I am also selling vegetables, generating a revenue of Rs. 15000 per year. Thanks to this, I am able to repay all my loans on time and don’t have to make up excuses to avoid borrowers anymore. I am proud to be associated with Vaagdhara, and they have helped me stand on my own feet. Now, I do not have to take out any loans to survive and receive an additional 20kg of wheat per month under the food security schemes. Vaagdhara has also helped me to apply for the Pradhan Mantri Awas (Prime Minister Housing) scheme, under which, if approved, I will receive a pucca (permanent) house. All of this has only been made possible by joining the JSS meeting.”
Changes come after that - “Thanks to Vaagdhara’s training and intervention, I now earn ₹ 52000 from all of my income sources combined, and my children are all studying. By linking me with public welfare schemes, income started coming in every month, which I was able to supplement by selling the vegetables grown in my Poshan Wadi in the market and in nearby villages.”
Vaagdhara’s Project Manager, Majid Khan, said that "Each women's group should support the needy people and members, who are suffering from any kind of problem, through regular meetings in order to fulfill their objective, so that they can also become a part of the mainstream of development and contribute to the development of the village."
खाद्य एवं पोषण सुरक्षा कार्यक्रम से जुड़ना मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं: कान्ता देवी
यह कहानी कांता देवी, निवासी महुडी खेड़ा, ग्राम पंचायत बोरी, पंचायत समिति पीपलखूंट, जिला -प्रतापगढ़ के बारे में है, जिन्होंने अपने अनुभव एवं जीवन में आयी तमाम परेशानियों और कठिनाइयों के बारे में बताते हुए कहा की जब मेरी जिंदगी का सबसे विकट मोड़ था, तब मेरा किसी ने साथ नहीं दिया लेकिन एक दिन किस्मत ने मुझे वाग्धारा से मिलाया और उसके खाद्य एवं पोषण सुरक्षा कार्यक्रम के बारे में जानकारी मिली और उससे जुड़ाव हुआ तो उसने किस प्रकार मेरी जिंदगी को खुशियों से भर दिया, तो मैं आप सबके साथ अपने बदलाव की कहानी साँझा कर रही हूँ I
बदलाव पूर्व स्थिति
जब वाग्धारा ने पहली बार हमारे गाँव में के.के.एस. समर्थित खाद्य एवं पोषण सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत महिला समूह की बैठक आयोजित कीं, तो मेरी सहेली शारदा ने मुझे आने और शामिल होने के लिए कहा, क्योंकि मुझे बैठक में भाग लेने से कुछ मार्गदर्शन मिल सकता है । उस समय, मुझे इस समूह में शामिल होने पर संदेह था । मैं बैठक में क्या करूंगी ? भगवान खुद मुझसे नाराज हैं- मेरे 3 बच्चे हैं, मेरे पति की मृत्यु 2 साल पहले हो गई थी, और मुझे अपने और अपने बच्चों के खाने की व्यवस्था के लिए दिन भर काम करना पड़ता है । यहां तक कि अगर मैं समूह में शामिल हो भी गयी, तो मैं कैसे हर माह बैठकों में भाग ले पाऊँगी, मेरे पास अतिरिक्त पैसे भी नहीं हैं?
स्थितियों को सुधारने के लिए किये प्रयास
आखिरकार एक दिन मैंने सक्षम समूह की बैठक में शामिल होने का फैसला किया, जिस दौरान वागधारा की टीम के सहजकर्ता साथी छगन लाल ने हमें सरकारी योजनाओं की जानकारी दी । वहां, मैं यह बात रख पाई कि मेरे पति के गुजर जाने के बाद भी मुझे किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है । यह सुनकर, छगन लाल जी ने मेरी सारी व्यक्तिगत जानकारी एकत्र की, और मुझे चिंता न करने के लिए कहा, क्योंकि 'आपकी चिंता, अब हमारी चिंता है' । मेरी सभी समस्याओं को सूचीबद्ध करने के बाद, विधवा पेंशन और पालनहार योजनाओं का लाभ उठाने को प्राथमिकता दी गई ।
बदलाव कैसे शुरू हुआ एवं किसकी मदद मिली
वाग्धारा के क्लस्टर फैसिलिटेटर धनराज कुमावत और स्थानीय सहजकर्ता छगन लाल जी के प्रयासों की बदौलत, दो महीने के भीतर, कांता देवी को ₹500 प्रति माह (2020 तक विधवा पेंशन राशि) की पेंशन मिलनी शुरू हो गई । उसके बाद वाग्धारा की टीम के सदस्यों की मदद से पालनहार योजना के फार्म भी भरे गए और 5 महीने बाद उसके खाते में ₹12000 जमा किए गए । कांता देवी ने वाग्धारा का आभार व्यक्त करते हुए कहा : "एक समय था जब मुझे नहीं पता था कि मेरी स्थिति में कभी सुधार होगा, कैसे होगा और मुझे लगा कि मुझे मरना पड़ सकता है । लेकिन वाग्धारा के प्रयासों से आज मेरे
बच्चे स्कूल जा रहे हैं और मुझे ₹3500 हर महीने वित्तीय सहयोग के रूप में मिल रहे हैं । वागधारा ने मुझे अपनी खुद की पोषण वाटिका निर्माण करने के लिए विविध प्रकार के सब्जी बीज का किट प्रदान किया, और अब मैं न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण कर पा रही हूं, बल्कि मैं सब्जियां भी बेच रही हूं, जिससे प्रति वर्ष 15000 रुपये की आय हो रही है, इसके लिए धन्यवाद ।“
मैं अपने सभी ऋणों को समय पर चुकाने में सक्षम हूं, और अब मुझे कर्ज देने वालों से बचने के लिए बहाने बनाने की जरूरत नहीं है । मुझे वाग्धारा के इस कार्यक्रम से जुड़ने पर गर्व है, उन्होंने मुझे अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद की है । महिला समूह ने मुझे प्रधान मंत्री आवास योजना के लिए आवेदन करने में भी मदद की है, जिसके तहत मंजूरी मिलने पर मुझे एक पक्का (स्थायी) घर मिलेगा । यह सब महिला समूह की बैठक में नियमित शामिल होने से ही संभव हो पाया है ।
बदलाव से क्या परिवर्तन आये
“वाग्धारा के मार्गदर्शन, समय-समय पर प्रशिक्षण और हस्तक्षेप के लिए धन्यवाद, अब मैं अपने सभी आय स्रोतों से ₹ 57000 वार्षिक कमाती हूं, और मेरे बच्चे पढ़ रहे हैं, जिसमें मुख्यतः: सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से और पोषण बगियाँ में उगाई सब्जियों को बाजार और आस-पास के गांवों में बेचकर हर महीने आय होने लगी है ।”
वागधारा के परियोजना प्रबन्धक, माजिद खान, ने कहा कि "प्रत्येक महिला समूह को अपने उद्देश्य की पूर्ति हेतु, इसी प्रकार से नियमित बैठकों के माध्यम से जरूरतमंद लोगों व सदस्यों, जो किसी भी प्रकार की समस्या से पीड़ित हैं, का सहयोग करना चाहिए, ताकि वह भी विकास की मुख्य धारा का हिस्सा बन सके और गाँव के विकास में अपना योगदान प्रदान कर सके"।