स्वराज संवाद कार्यक्रम का हुआ आयोजन

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आदिवासी समुदाय के सामूहिकता के विचारों का प्रचार प्रसार कर स्वराज को स्थापित किया जा सकता है....! अशोक चौधरी

बाँसवाड़ा I दिनांक 25 दिसम्बर, 2021 को जनजातीय स्वराज केंद्र, वाग्धारा परिसर, कूपडा में स्वराज संवाद कार्यक्रम का आयोजन हुआ I जिसकी अध्यक्षता श्री अशोक चौधरी, आदिवासी एकता परिषद, द्वारा की गयी I कार्यक्रम की शुरुआत में सम्मानीय अशोक चौधरी द्वारा गाँधी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया I इसके बाद संस्था सचिव जयेश जोशी द्वारा अशोक चौधरी जी का अभिनंदन किया गया और वाग्धारा संस्था द्वारा इस क्षेत्र में विगत 30 वर्षों से स्वराज को लेकर आदिवासी समुदाय के साथ मिलकर जो प्रयास किए जा रहे है उनके बारे में अवगत करवाया I इसके बाद संस्था द्वारा जिन तीन विषयों पर कार्यक्रम चलाएं जा रहे है जिनमे सच्चा बचपन, सच्चा स्वराज व सच्ची खेती शामिल है उनको लेकर सम्बन्धित कार्यक्रम प्रभारियों द्वारा संक्षित में जानकारी प्रदान की गयी, जिसमें माजिद खान द्वारा सच्चा बचपन कार्यक्रम के अंतर्गत बाल मित्र गाँव निर्माण को लेकर जो प्रयास किए जा रहे है उनसे अवगत करवाया गया, परमेश पाटीदार व पी.एल.पटेल द्वारा सच्चा स्वराज व सच्ची खेती कार्यक्रमों के बारे में जानकरी प्रदान की गयी I इसी बिच संस्था की स्वराज संगठन सहयोग इकाईयां द्वारा जमीनी स्तर पर मध्यप्रदेश, राजस्थान व गुजरात राज्यों के 1000 गाँवो में आदिवासी समुदाय के साथ मिलकर नियमित जो कार्यक्रम चलाएं जा रहे है उनके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी सोहननाथ जोगी द्वारा दी गयी I वाग्धारा के कृषि विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद रोकड़िया द्वारा स्वराज व कृषि को लेकर जो प्रयास किए जा रहे है उनके बारे में जानकरी प्रदान की गयी I

समुदाय से जो साथी आदिवासी समुदाय के विकास के लिए स्वराजी पहल कर रहे है उन प्रयासों के बारे में जानकारी मानसिंह निनामा, गौरी गेन्दोत और दिनेश डिन्डोर द्वारा प्रदान की गयी I

इसके बाद कार्यक्रम में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री अशोक चौधरी जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया की गाँधी जी ने ग्राम स्वराज का जो सपना देखा था उसमें आदिवासी समुदाय को विशेष स्थान दिया गया था क्यूंकि गाँधी जी का मानना था की आदिवासी समुदाय ही एक ऐसा समुदाय है जो आज भी हमारी प्रकृति, संस्कृति, गाँवो व हमारी विरासत का संरक्षक है और वही गाँवो में स्वराज स्थापित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है I उन्होंने बताया की आदिम सभ्यता के समय आदिम समाज में आदिवासीयों की जो जीवन प्रणाली थी उसको लेकर 1944 में गाँधी जी ने बताया था की आदिम समाज में कोई राज्य नहीं था और समाज स्वयं संचालित था इसलिए गाँधी जी का मानना था की ग्राम स्वराज में कोई राज्य नहीं होना चाहिए और समाज स्वयं ही संचालित होना चाहिए और इस प्रकार उन्होंने ग्राम स्वराज की परिकल्पना की बात की जिसमे गाँवो को संप्रभु राज्य बनाने की बात की गयी थी I

आज के समय में हर कोई ज्यादा से ज्यादा चाहता है, उसके लिए विस्तार करने की जरुरत होती है और अगर किसी भी चीज का विस्तार होता है तो किसी ना किसी का शोषण करना ही पड़ता है चाहें वह इन्सान हो, संस्कृति हो या प्रकृति और यह शोषण हिंसा का रूप धारण कर लेता है I

स्वराज स्थापित करने के लिए हमारी जो विरासत है जिसमें हमारे जल, जंगल, जमीन इत्यादि को संरक्षित करने की बात की गयी और आधुनिकता के दौर ने आज वर्तमान में हमारी इस विरासत को विकास के नाम पर तहस नहस करके रख दिया है और आज यही हम सबके सामने सबसे बड़ी चुनोती के रूप में आकर खड़ी हो गयी है और इसके लिए आज स्वराज विचारों पर कार्य करने वाले दुनिया भर के संगठनों को एक साथ आगे आकर हमारी इस विरासत, धरोहरों को बचाने की जरुरत है I  सोच या वैचारिक परिवर्तन से ही यह सब कर सकते है, ताकि गाँधी को जिन्दा रखा जा सके I सामूहिकता का विचार आदिवासी समुदाय में था, जीवन लचीला सहज था, समाज में जो एक समानता और बराबरी की बात थी वह आज खत्म हो गयी है और समाज में गैर बराबरी, असमानता बढ़ गयी है और यह हमारा स्वराज नहीं है I दुनिया के बाकि लोगों को आदिवासी समाज को देखने का दृष्टिकोण बदलना होगा I  संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी 9 अगस्त 1994 को विश्व आदिवासी दिवस घोषित किया और कहाँ की दुनिया में यह संस्कृति बचानी है, हमारी प्रकृति को बचाना है तो पूरी दुनिया में जहाँ जहाँ आदिवासी समुदाय है उनको इस आधुनिकरण के दौर से बचाना है I

आदिवासी एकता परिषद देश के 22-23 राज्यों में संगठनों के माध्यम से आदिवासी समुदाय के साथ मिलकर हमारी संस्कृति को बचाने के लिए प्रयास कर रही है और समान विचारधारा वाली संस्थाओं को एक साथ आने की जरुरत है I गाँव में कोई भूखा ना रहे इसके लिए स्थानीय स्तर पर धान कोष व बीज कोष स्थापित करने की जरुरत है, गाँव में कोई अशिक्षित ना रहे सब जागरूक रहे, स्वास्थ्य को लेकर जो स्थानीय जानकारी लोगों के पास है, उसको संकलित करके दुसरे लोगों तक पहुंचायी जाएँ और इनका स्थानीय स्वराज गीत के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जाएँ I

लोक कवी डॉ. संजय आमेटा द्वारा स्वराज को लेकर स्थानीय गीत व कविताओं की प्रस्तुती की गयी और कार्यक्रम का संचालन सतीश आचार्य द्वारा किया गया I

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Aaqib Ahmad

IT Support & Development

Aaqib holds a Master of Computer Applications (MCA) from Jawaharlal Nehru Technological University, Hyderabad. With experience in data analysis, website development, and market research, he transitioned to the development sector seeking purpose-driven work and new challenges.
Working at Vaagdhara has transformed not just my career but my outlook on life. I came here as an IT professional, but I have grown into someone who understands the pulse of rural and tribal communities.